BHILAI.महर्षि दयानंदन सरस्वती की 200वीं जयंती आर्य समाज मंदिर आर्य नगर में आर्य वीरों के द्वारा दीप जलाकर मनाई गई। वहीं शहर में इस अवसर पर कई आयोजन हुए। आर्य समाज स्कूल में हवन-पूर्णाहूति के साथ ही स्वामी दयानंद सरस्वती को याद किया गया।
आर्य समाज मंदिर आर्य नगर में इस अवसर पर आर्य वीरों ने दीप जलाकर स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती मनाई। साथ पूर्ण ग्राम कार्यक्रम से पूर्व हवन-पूर्णाहूति की गई। कार्यक्रम में आचार्य डाॅ.अजय आर्य ने कहा कि सरदार भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे अनेक क्रांतिकारियों को स्वामी दयानंद सरस्वती ने प्रेरित किया था। लाला लाजपत राय दयानंद सरस्वती को अपना गुरू तथा आर्य समाज को अपनी माता कहते थे। स्वदेशी एवं स्वराज के लिए दयानंद सरस्वती का योगदान अमूल्य है।
जब महारानी ने अंग्रेज अधिकारियों को पक्षपात रहित भारतीय प्रजा के साथ पुत्रवत व्यवहार करने का संदेश दिया उस समय उन्होंने स्वदेशी राज्य सर्वोपरी होता है किसी भी रूप में विदेशी राज्य स्वीकार नहीं किया जा सकता यह उल्लेख सत्यार्थ प्रकाश में किया। वे हिन्दू समाज के महान समाज सुधारकों में से एक है। उन्होंने समाज के पाखंड का विरोध किया था। ब्राम्हण होकर भी जातिवाद का विरोध किया। स्वदेशी जागरण समाज सुधार वैदिक मान्यताओं की पुनः प्रतिष्ठा करके उन्होंने स्वदेशी अस्मिता का पुनरूद्धार किया। कार्यक्रम में साक्षी कृष्णमूर्ति गोपाल राजपूत, मनोज, दामिनी सहित बड़ी संख्या में आर्य समाज के 500 से अधिक लोग उपस्थित रहे।
कई कार्यक्रम हुए
आर्य समाज सेक्टर 6 व महर्षि दयानंद आर्य विद्यालय में भी कार्यक्रम किया गया। महर्षि दयानंद सरस्वती का 200वां जन्मोत्सव एवं संस्मरणोत्सव मनाया गया। इस दौरान हवन-पूजन किया गया। आचार्य अंकित के द्वारा दयानंद सरस्वती के द्वारा किए गए सामाजिक उत्थान के कार्यों पर प्रकाश डाला गया। साथ ही उनके बताए हुए मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी गई। संगीत शिक्षिका भारती जैन ने मधुर भजन की प्रस्तुति दी। इसके बाद प्रसाद भोग का वितरण किया गया। इसके अलावा महर्षि दयानंद शासकीय विद्यालय में कार्यक्रम किया गया।