RAIPUR. छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के पहले दो दिनों तक कांग्रेस की मैराथन बैठकें चलीं। बैठक में संभावित प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा हुई। साथ ही प्रचार की रणनीति और मुद्दों को लेकर भी मंत्रणा हुई। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई पूर्व मंत्री और बड़े नेताओं को मैदान में उतारने का मुद्दा छाया रहा।
छत्तीसगढ़ में लोकसभा में कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड अधिकतम दो सीटों का रहा है। देशभर में इस वक्त भाजपा राम मंदिर के मुद्दे पर अपने पक्ष में वातावरण बनाए हुए है। ऐसे में कांग्रेस की टिकट से आखिर कौन मैदान में उतरे, इसे लेकर दो दिनों तक जमकर मंत्रणा हुई। लेकिन इस दौरान एक ही आवाज गूंजती रही। पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री और सभी बड़े नेताओं को मैदान में उतारा जाए, ताकि चुनाव मजबूती से लड़ने का संदेश भी जाए और मैनेजमेंट भी बेहतर हो। यही वजह है कि बैठक के भीतरखाने से सियासी दांवपेंच की खबरें भी छनकर सामने आती रही।
भूपेश बघेल को राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव
शुक्रवार को मोहम्मद अकबर ने भूपेश बघेल को राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव रखा। तो शनिवार की बैठक में धनेंद्र साहू ने रायपुर से भूपेश को उतारने की मांग कर डाली। भूपेश भी कहां पीछे रहने वाले थे, उन्होंने जातीय समीकरणों का हवाला देते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत को मैदान में उतारने का सुझाव दे डाला। इसी तरह दुर्ग और महासमुंद से ताम्रध्वज साहू, बिलासपुर से टीएस सिंहदेव, कांकेर से मोहन मरकाम, फुलोदेवी नेताम, सरगुजा से अमरजीत भगत समेत 3 नेता, कोरबा से ज्योत्सना महंत के नाम पर भी जमकर चर्चा हुई।
भूपेश बघेल ने कहा-मैं तो विधायक हूं
उन्होंने दो टूक लहजे में कहा कि मैं तो विधायक हूं… मुझे चुनाव लड़ने की क्या जरूरत। अगर मुझे सभी क्षेत्रों में प्रचार का काम दिया जाएगा, तो ज्यादा अच्छा होगा। लेकिन प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने साफ कर दिया कि युवाओं और अनुभवी चेहरों के संतुलन से चुनाव मैदान में उतरेंगे। उन्होंने सभी नेताओं को जिम्मेदारी बांटने की बात भी कही।
दीपक बैज के चुनाव लड़ने पर संशय
बस्तर की बारी आई तो चरणदास महंत ने दीपक बैज से ही सवाल कर लिया। उन्होंने दो टूक लहजे में पूछा कि अध्यक्ष जी आप चुनाव लड़ेंगे कि लड़वाएंगे। पशोपेश में फंसे दीपक बैज ने विचार कर जवाब देने की बात कही तो यहां से कवासी हरीश का नाम भी सामने आ गया। बैठक के बाद स्क्रीनिंग कमेटी की चेयरमेन रजनी पाटिल ने पूर्व सीएम समेत सभी वरिष्ठ नेताओं से चुनाव लड़ने का आग्रह करने की बात कह डाली। लेकिन भूपेश बघेल ने चुनाव मैदान में उतरने पर अनिच्छा जता दी।
कांग्रेस की बैठक से यूं तो अंतर्कलह और गुटबाजी की खबरें सामने आती रहती है। टिकट को लेकर खींचतान सड़कों पर भी नजर आती है, लेकिन पहली बार बड़े नेता भी खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए टिकट मांगते नजर आ रहे हैं। इसे चुनाव लड़ने से बचने का दांव माना जाए….या सियासी रसूख बनाए रखने की जद्दोजहद। वहीं कांग्रेस नेतृत्व भी इस बार बड़े नेताओं को बख्शने के मूड में नहीं दिख रहा है।