BILASPUR.छठ महापर्व उत्तर भारत का महापर्व माना जाता है लेकिन अब यह पर्व छत्तीसगढ़ के लोग भी बड़ी आस्था के साथ मनाते है। छठ महापर्व की शुरूआत नहाए-खाए खरना के बाद आज संध्या अर्घ्य की बारी है। बिलासपुर में प्रदेश का सबसे बड़ा छठ घाट है जहां पर आस्था का जनसैलाब संध्या अर्घ्य के लिए उमड़ेगा।
बता दें, बिलासपुर स्थित अरपा नदी पर तोरवा पुल के पास प्रदेश का सबसे बड़ा छठ घाट है। जहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु छठ पूजा के लिए पहुंचते है। रविवार को संध्या अर्घ्य की विधि पूरी की जाएगी। जिसके लिए छठ पूजा समिति की ओर से तैयारी की गई है। छठ महापर्व में संध्या अर्घ्य के लिए दोपहर से ही श्रद्धालु घाट पर पहुंचने लगते है।
36 घंटे का है यह व्रत
छठ महापर्व की शुरूआत नहाय-खाए की विधि से ही हो जाती है। 17 नवंबर को नहाय-खाय की विधि के साथ ही अरपा मैया की महाआरती की गई। इसके बाद 18 नवंबर को खरना की विधि पूरी की गई। जिसमें व्रती सुबह से शाम तक व्रत करने के बाद घी चुपड़ी रोटी व गुड़ का खीर प्रसाद तैयार कर भोग अर्पित किया। सभी को यह प्रसाद खिलाया भी गया। फिर खुद ग्रहण किया। इसके बाद रविवार संध्या अर्घ्य की विधि की जाएगी। जिसमें डूबते सूरज को अर्घ्य देकर परवैतीन आशीर्वाद मांगेंगी। इसके बाद सोमवार को 20 नवंबर को सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करेंगे।
50 हजार से अधिक पहुंचेंगे घाट पर
छठ पूजा के प्रति सिर्फ बिहारी या यूपी के ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के लोगों में भी विशेष आस्था है। जिसके चलते स्थानीय लोग भी इस व्रत को करते है। यहीं वजह है कि यूपी-बिहार सा माहौल बिलासपुर के छठ घाट में देखने को मिलता है। हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इस बार समिति के द्वारा अनुमान लगाया गया है कि 50 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचेंगे।