BILASPUR.छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी पार्टियां चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने भरसक प्रयास कर रहे है। जिसके लिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। लेकिन इन सब प्रयासों पर बागी नेता पानी फेर सकते है। टिकट न मिलने से नाराज नेता निर्दलीय या अन्य पार्टियों में शामिल हो मैदान में है। ऐसे में कांग्रेस व बीजेपी दोनों ही दलों के उम्मीदवारों की जीत का समीकरण बिगड़ जाएगा। जीत किसकी होगी यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। अब तो सीधे मतगणना का ही इंतजार करना होगा।
बता दें, छत्तीसगढ़ विधानसभा के 20 सीटों के लिए 7 नवंबर को मतदान होने है। वहीं 70 सीटों पर 17 नवंबर को मतदान होने है। जिसके लिए निर्वाचन आयोग ने पूरी तैयारी कर ली है। नामांकन की प्रक्रिया दूसरे चरण की भी पूरी ही हो गई है। अब चुनाव चिन्हों का वितरण किया जाएगा। ऐसे में बागी नेता भी अपना चुनाव प्रचार करने में जुटे है। ये बागी नेता अपने पूर्व पार्टी के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देने के लिए आगे आ रहे है।
देखने को मिलेगा त्रिकोणीय मुकाबला
इस चुनाव में बागी नेताओं के उम्मीदवार बन जाने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। बिलासपुर संभाग के 8 जिलों में अधिकतर जगहों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। जिसमें मस्तूरी में बीजेपी के उम्मीदवार डॉ.कृष्णमूर्ति बांधी, कांग्रेस से दिलीप लहरिया व जोगी कांग्रेस से चांदनी भारद्वाज है। चांदनी बीजेपी से जोगी कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव लड़ रही है।
जिससे यहां बीजेपी को नुकसान हो सकता है। वहीं तीनों का मुकाबला खास होगा। इसके अलावा कोटा में भी मुकाबला त्रिकोणीय होगा। बीजेपी से प्रबल सिंह जूदेव व कांग्रेस से अटल श्रीवास्तव अपना किस्मत आजमाएंगे। लेकिन यहां से पहले ही विधायक के तौर पर 4 बार जीत दर्ज करने वाली रेणु जोगी भी सक्रिय है और अब मुकाबला रोचक हो जाएगा। मुंगेली में भी त्रिकोणीय मुकाबला होगा। जिसमें कांग्रेस छोड़ जोगी कांग्रेस का दामन थामकर सागर सिंह बैस मैदान में है। जो कांग्रेस को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते है।
कांग्रेस में बागियों की संख्या ज्यादा
बता दें, जब से चुनाव की तारीख का ऐलान हुआ तब से ही टिकट के लिए उम्मीदवारी करने वाले नेता सक्रिय थे। लिस्ट जारी होने के बाद से ही कांग्रेस से नेताओं ने विद्रोह करना शुरू किया। जबकि बीजेपी में टिकट न मिलने पर कम ही है जिन्होंने निर्दलीय या उनके विपक्ष में चुनाव लड़ने नामांकन भरा। एक-दो जगहों को छोड़ दे तो कांग्रेस में बागी नेताओं की संख्या ज्यादा है।