BILASPUR. छत्तीसगढ़ में विधानसभा के नामांकन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। वहीं सोमवार को जेसीसीजे प्रमुख अमित जोगी ने पाटन से नामांकन जमा कर सभी को चौंका दिया। अभी तक अमित जोगी के चुनाव लड़ने को लेकर सस्पेंस था। माना जा रहा था कि वे अकलतरा से चुनाव लड़ सकते है क्योंकि मरवाही से तो जातिगत मामले के कारण चुनाव नहीं लड़ सकते है।
बता दें, अमित जोगी इस बार छत्तीसगढ़ के विधानसभा में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर चुके है। वहीं उनके खुद के चुनाव लड़ने की बात सामने नहीं आ रही थी। लेकिन अब साफ हो गया है कि वे पाटन से चुनाव लड़ेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने मैदान में होंगे।
उठ रहे सवाल क्यों चुना होगा पाटन को
प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल पाटन से ही चुनाव लड़ते है। इस बार भी वहीं से नामांकन भरा है। लेकिन अमित जोगी के पाटन से चुनाव लड़ने नामांकन जमा करने के बाद से अब प्रश्न उठ रहा है कि आखिर पाटन से ही चुनाव क्यों लड़ रहे है। उनके पास बहुत से विकल्प थे लेकिन उनको छोड़कर पाटन में पर्चा दाखिल किया।
3 दिसंबर को पता चलेगी उम्मीदवारों की स्थिति
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन से कांग्रेस के उम्मीदवार है वहीं बीजेपी से विजय बघेल को प्रत्याशी बनाया गया है। अब दो बघेल के बीच में अमित जोगी का सामने आना सबको चौंका रहा है। इस चुनाव में इनके आने से अब बीजेपी व कांग्रेस दोनों को मुश्किल होगी। हां इतना कह सकते है कि अमित जीते या न जीते बीजेपी-कांग्रेस दोनों के ही वोट काटेंगे। चुनाव के परिणाम 3 दिसंबर को आएंगे। जिससे पाटन में इन तीनों के बीच वोट की स्थिति पता चलेगी।
पहली बार मरवाही में नहीं जोगी परिवार
मरवाही को जोगी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में अमित मरवाही से विधायक चुने गए थे। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी के देहांत के बाद उप चुनाव में जातिगत मामले के चलते अमित जोगी व ऋचा जोगी दोनों का ही नामांकन खारिज हो गया। वर्ष 2023 में पहली बार चुनाव में जोगी परिवार मरवाही से बाहर हो गया है।
अब तक चुनाव में एक ही परिवार के चाचा-भतीजा की सेटिंग होती आयी है –अमित जोगी
मैंने पाटन से आज अपना नामांकन भरा है। ये चुनाव ‘भूपेश’ नही ‘भ्रष्टाचार’ के विरुद्ध है। यह एक ताकतवर दाऊ ‘परिवार’ बनाम पाटन के गरीब, अनुसूचित जाति-जनजाति, अतिपिछड़ा वर्गों के ‘अधिकार’ का चुनाव है।
मैं तो केवल चेहरा हूं, प्रत्याशी तो पाटनवासी हैं, प्रत्याशी तो पीएससी घोटाला पीड़ित हैं, आवास पीड़ित हैं, वादाखिलाफी पीड़ित हैं, नियमितीकरण पीड़ित हैं, शराबबंदी पीड़ित हैं। मैं तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध, इन सभी पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं।
मेरे पास ‘सेफ’ सीट से जीतने के तीन विधानसभाओं के विकल्प थे, मैं दो सीटों से भी लड़ सकता था लेकिन मैंने अकेले पाटन से ही लड़ने का निर्णय पाटनवासियों के कहने पर लिया है। मैंने पिछले एक महीने में पाटन विधानसभा क्षेत्र में तीन बडी सभायें की हैं।
मेरे आने के बाद, पाटन में पहली बार चुनाव होगा, अभी तक तो एक ही परिवार के चाचा-भतीजा की सेटिंग होती आयी है, चुनाव तो अब होगा पाटन में परिवर्तन’ तय है। पाटनवासियों की जीत होगी।