BHILAI. अगर भाई-भाई, भाई-बहन, पति-पत्नी, पिता-पुत्र, माता-पुत्री आदि-आदि रिश्तों में नजदीकी और संवेदनशीलता नहीं है तो ये सभी रिश्ते महज बायोलॉजिकल ही हैं। रिश्ता वही है, जिनके बीच दूरी न हो और मजबूत भावनात्मक जुड़ाव हो। यह बात जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजय शंकर मेहता ने नेहरू नगर पूर्व स्थित राधा-कृष्ण मंदिर में कही।
पं. विजय शंकर मेहता भिलाई में स्व. जमुना प्रसाद सोनी की स्मृति में आयोजित ‘हमारे हनुमान तेरी शरण, पिताश्री का पुण्य स्मरण’ कार्यक्रम में प्रवचन के लिए आए थे। पं. मेहता ने रिश्तों की सूक्ष्म विवेचना करते हुए उनमें आ रहे बदलावों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि संबंधों में विश्वास की कमी, आपसी समझ और समर्पण की कमी से जीवन कठिन हो रहा है। एक छत के नीचे रहते हुए भी परिवार के सदस्यों में दूरी दिखाई देती है। हम अपनों से ज्यादा भरोसा, उन पर करते हैं जिनकी हमारे जीवन में भूमिका अस्थाई है।
जीवन को सुखमय और तनावमुक्त बनाने के लिए परिवार में आपसी सामांजस्य बेहद जरूरी है। संवाद में किसी भी तरह की अल्पता दूरी को बढ़ा देती है, लेकिन संवाद कब करना है और क्या करना है, यह जानना भी जरूरी है। काल परिस्थित देखकर यह आपको स्वयं तय करना होगा।
उन्होंने लोगों को सलाह दी कि आप अपने घर के बुजुर्गों के साथ कम से कम 15 मिनट जरूर बैठें। इससे दो लाभ होंगे। एक तो बुजुर्गों को महसूस होगा कि आप उन्हें समय दे रहे हैं। इससे वे अच्छा महसूस करेंगे। दूसरा बुजुर्गों से निकलने वाली पॉजिटिव एनर्जी आपको खुशहाल बनाएगी। पं. मेहता ने कहा कि घर के बुजुर्ग और गोमाता, ये दोनों ही एकमात्र जीव हैं जो हमेशा पॉजिटिव एनर्जी देते हैं।
पं. मेहता ने लोगों से घर में खासकर बच्चों के कक्ष में श्री हनुमान प्रतिमा रखने की सलाह दी। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए गोबर के कंडे से हवन करने की बात कही। कार्यक्रम के समापन पर स्व. जमुना प्रसाद सोनी के पुत्र मनीष सोनी द्वारा भंडारे का भी आयोजन किया गया।
बीते शनिवार संपन्न इस कार्यक्रम में जगतगुरु शंकराचार्य नर्सिंग कॉलेज की डायरेक्टर श्रीमती सुमन त्रिपाठी, तीरंदाज के संपादक मयंक चतुर्वेदी, कमला मेडिकल के संचालक संजय खंडेलवाल, राजनांदगांव से ज्योतिषाचार्य सुषमा सिंह, कांग्रेस नेता राजेश शर्मा आदि उपस्थित थे।