RAIPUR. छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े विश्विद्यालय पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय समेत छ: राजकीय विश्वविद्यालय में इस वर्ष वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट काफी खराब आया है. विद्यार्थियों ने 3 साल बाद ऑफलाइन परीक्षा दी है, इसमें 80% छात्र फेल हो गए हैं और 1700 से अधिक छात्रों को किसी न किसी विषय में शून्य अंक मिले हैं. फेल होने वाले अधिकाँश छात्र दो विषयों में फेल हुए हैं. इसलिए वे सप्लीमेंट्री एग्जाम भी नहीं दे सकते थे क्योंकि नियमानुसार एक विषय में फेल होने पर ही पूरक परीक्षा दी जा सकती है.
इसीलिए फेल होने वाले छात्रों ने सीएम बघेल और विश्वविद्यालय के कुलपति से मांग की थी की नयम में बदलाव किया जाए और दो विषयों में फेल होने वाले छात्रों को सप्लीमेंट्री एग्जाम देने का मौका दिया जाए. इसके बाद छात्रों के भविष्य को देखते हुए नियम में बदलाव कर दिया गया है. अब दो विषय में फेल हुए छात्र भी सप्लीमेंट्री एग्जाम दे सकेंगे।
80 हजार छात्रों को मिलेगा लाभ
इस वर्ष के वार्षिक परीक्षा में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के अलावा राज्य केदुर्ग विश्विद्यालय, बिलासपुर विश्विद्यालय, रायगढ़ विश्वविद्यालय समेत अन्य विश्वविद्यालय का रिजल्ट काफी कमजोर रहा है. दो विषयों में पूरक परीक्षा देने की पात्रता मिलने पर लगभग 80 हजार छात्रों को इसका फायदा मिलेगा। इस वजहस इ वे आगामी परीक्षा में शामिल हो पाएंगे।
इतने हुए पास और इतने फेल
पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन के तीनों वर्षों के कुल परक्षार्थियों को मिला दिया जाए तो कुल 125463 परीक्षार्थी वार्षिक परीक्षा में शामिल हुए थे। इसमें से 48925 परीक्षार्थी पास हुए हैं, तो वहीं 50767 परीक्षार्थी फेल हो गए हैं. साथ ही 24542 विद्यार्थी पूरक आए हैं. फेल होने वाले परीक्षार्थियों में 25 हजार परीक्षार्थी ऐसे हैं जो दो विषय में फेल हुए हैं. जो कि अब नियम में बदलाव के बाद पूरक परीक्षा दे सकेंगे। यदि दुर्ग विवि, बिलासपुर विवि, सरगुजा विवि, बस्तर विवि व रायगढ़ विवि के आंकड़ों को देखा जाए तो दो विषय में फेल होने वाले परीक्षार्थियों की संख्या 80 हजार है. ये 80 हजार फेल हुए परीक्षार्थी अब पूरक परीक्षा देकर आगामी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
राज्य बनने से पहले थी ये सुविधा
अविभाजित मध्यप्रदेश में ये नियम पहले से था कि दो विषय में फेल होने वाले परीक्षार्थी को पूरक परीक्षा देने की पात्रता दी जाती थी. लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद नियम में बदलाव किया गया और पूरक परीक्षा के लिए पात्र केवल उन्हीं छात्रों को बनाया गया जो एक विषय में फेल हुए हो. इस वर्ष अब नियम में फिर से बदलाव करके छात्रों के भविष्य को देखते हुए दो विषय में फेल हुए छात्रों को पूरक परीक्षा देने का मौका दिया गया है.