RAIPUR. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक स्कूल में सिख समाज की छात्रा परीक्षा देने परीक्षा केंद्र पहुंची। यहां उससे कृपाण और कटार को परीक्षक ने निकालने को कहा। छात्रा के मना करने पर उसे दोबारा इनके साथ नहीं आने की बात कही गई। इसकी जानकारी समाज के लोगों को हुई तो बवाल हो गया। उन्होंने स्कूल पहुंचकर प्रदर्शन किया और प्रिंसिपल को बताया कि ये उनके धर्म का हिस्सा है और इसे निकलवाना उनका अपमान जैसा है। हालात को संभालते हुए प्रिंसिपल ने माफी मांगी तब जाकर मामला शांत हुआ।
बता दें कि मामला राजधानी के बैरनबाजार में मौजूद होलीक्रास स्कूल का है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां तीन मार्च को सिख समाज की एक छात्रा परीक्षा देने गई थी। तब उसे परीक्षा देने से रोक दिया गया। परीक्षक ने उससे शरीर में धारण किए गए कृपाण और कटार को निकालने को कह दिया। बालिका ने धर्म के नियमों का हवाला देते हुए मना कर दिया और बताया कि वह सिख धर्म की है और धार्मिक नियमों के अनुसार ही कटार धारण किया है। तब उसे चेतावनी दी गई कि दोबारा कटार पहनकर नहीं आने को कह दिया गया। बालिका ने घर आकर परिवार वालों को इसके बारे में अवगत कराया। इस पर सिख समाज के पदाधिकारी विद्यालय पहुंचे और इसे धर्म का अपमान बताते हुए विरोध जताने लगे।
पदाधिकारियों ने कहा कि सिख समाज के लोग केश, कड़ा, कंघा, कृपाण और पगड़ी धारण करने के नियमों का पालन करते हैं। विधानसभा और लोकसभा समेत सभी जगहों में इन्हें पहनकर जाने से उन्हें नहीं रोका जाता है। ऐसे में स्कूल में बंदिश क्यों लगाई जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस कृत्य के लिए यदि माफी नहीं मांगी गई तो देशभर में जमकर विरोध किया जाएगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए आखिरकार प्राचार्य ने माफी मांगी। इसके बाद सिख समाज के लोग शांत हुए। जबकि इस मामले को लेकर रायपुर DEO आरएल.ठाकुर ने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है, लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से किसी पर भी रोक लगाना उचित नहीं है। इसकी जांच कराई जाएगी और इसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।