तीरंदाज, डेस्क। लालकिले से देश के नाम संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अहम बातें की। इस मौके पर भाई-भतीजावाद पर जमकर हमला बोला। साथ ही अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने 25 साल के पंच प्रण के बारे में बताय। आने वाले 25 साल के लिए हमें ‘पंच प्रण’ पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प लेकर चल पड़ें, तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा। हम एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं। बड़े-बड़े लोग बच नहीं पाएंगे। मैं लाल किले की प्राचीर से बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है। मुझे इसके खिलाफ लड़ना है। मैं आज आपसे साथ मांगने आया हूं। जिन्होंने देश को लूटा, उन्हें लौटाना होगा।
भाई-भतीजावाद पर बोलते हुए उन्होंने कहा, लोग सोचते हैं कि मैं सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र की बात करता हूं। हिंदुस्तान की हर संस्था में परिवारवाद है। इसके कारण मेरे देश के टैलेंट को नुकसान होता है। सामर्थ्य को नुकसान होता है, जिनके पास अवसर की संभावनाए हैं, वो भाई-भतीजावाद के कारण बाहर रह जाता है। भाई-भतीजावाद के खिलाफ नफरत पैदा करनी होगी। परिवारवादी राजनीति परिवार की भलाई के लिए होती है, देश के लिए नहीं। आइए, हिंदुस्तान की राजनीति व सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए इससे मुक्ति दिलाकर आगे बढ़ें।
महापुरुषों को याद करने का वक्त
पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिवस ऐतिहासिक दिवस है। आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालखंड संघर्ष में बीता है। भारत का कोई कोना ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो। जीवन न खपाया हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष के लिए नमन करने का अवसर है। उनका स्मरण करते हुए उनके सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प लेने का भी अवसर है। आज हम सभी कृतज्ञ हैं पूज्य बापू के, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब आंबेडकर, वीर सावरकर के… जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया। यह देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल। ऐसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।
बिरसा मुंडा सहित आदिवासी वीरों को किया याद
जब हम आजादी की चर्चा करते हैं, तो जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाज का गौरव नहीं भूलते। बिसरा मुंडा समेत अनगिनत नाम है। जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर सुदूर जंगलों में आजादी के लिए मर मिटने की प्रेरणा जताई। एक दौर वो भी था, जब स्वामी विवेकानंद, स्वामी अरविंदो, रविंद्र नाथ टैगोर भारत की चेतना जगाते रहे। 2021 से शुरू हुए आजादी के अमृत महोत्सव में देशवासियों ने व्यापक कार्यक्रम किए। इतिहास में इतना बड़ा महोत्सव पहली बार हुआ। हमने उन महापुरुषों को भी याद किया, जिन्हें इतिहास में जगह नहीं मिली या उन्हें भुला दिया गया।
हर हाल में जरूरी है नारी का सम्मान
प्रधानमंत्री ने कहा, हममें विकृति आई है। हम नारी का सम्मान नहीं करते हैं। हमारी बोलचाल में हम नारी का अपमान करते हैं। उन्होंने कहा, हम स्वभाव में, संस्कार में, रोजमर्रा की जिंदगी में क्या नारी का सम्मान करने का संकल्प ले सकते हैं? उन्होंने कहा, नारी का गौरव, राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। इसलिए नारी का हर हाल में सम्मान जरूरी है। उन्होंने कहा, हम जिनते अवसर हमारी बेटियों को देंगे, जितनी सुविधाएं देंगे, वे हमें बहुत कुछ लौटाकर देंगे। हमारे सपनों में नारी की मेहनत लग जाएगी, जो हमारी मेहनत कम हो जाएगी।
पीएम मोदी ने बताए पांच प्रण
इस दौरान पीएम मोदी ने 25 साल के पंच प्रण के बारे में बताया। जिसमें विकसित भारत, शत प्रतिशत गुलामी की सोच से आजादी, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता, नागरिकों का कर्तव्य शामिल हैं। विकसित भारत को लेकर उन्होंने कहा स्वच्छता अभियान, वैक्सीनेशन, ढाई करोड़ लोगों को बिजली कनेक्शन, खुले में शौच से मुक्ति के साथ हम सभी मानकों पर संकल्प से बढ़ रहे हैं।
शत प्रतिशत गुलामी की सोच से आजादी को लेकर उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुलामी की उसी सोच से मुक्ति का रास्ता है. हमें किसी भी तरह के गुलामी से मुक्ति पानी होगी। हमें देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए। डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप देश की उभरती सोच व ताकत का परिणाम है।
विरासत पर गर्व पर उन्होंने कहा जब हम अपनी धरती से जुड़ेगे, तभी ऊंचा उड़ेंगे तभी विश्व को समाधान दे पाएंगे। लिहाजा विरासत पर गर्व जरूरी है। मोटा धान हमारी विरासत का ही हिस्सा है, संयुक्त परिवार हमारी विरासत का हिस्सा है, पर्यावरण की सुरक्षा हमारी विरासत में है।
एकता और एकजुटता पर उन्होंने कहा विविधता को सेलिब्रेट करना है। लिंगीय समानता, पहले स्थान पर भारत, श्रमिकों का सम्मान इसी का हिस्सा है। नारी का अपमान एक प्रमुख विकृति है, जिससे मुक्ति का रास्ता खोजना ही होगा।
नागरिकों का कर्तव्य पर उन्होंने कहा कि नागरिकों का कर्तव्य प्रगति का रास्ता तैयार करता है। यह मूलभूत प्रणशक्ति है। बिजली की बचत, खेतों में मिलने वाला पानी की पूरा इस्तेमाल, केमिकल मुक्त खेती, हर क्षेत्र में नागरिकों की जिम्मेदारी और भूमिका बनती है।
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