देवघर। झारखंड के देवघर में एक बड़ा हादसा हुआ है। यहां त्रिकूट पर्वत के रोपवे में रात भर फंसे 48 पर्यटकों को निकालने के लिए वायुसेना, सेना और स्थानीय युवाओं ने बचाव अभियान तेज कर दिया है। रविवार शाम हुए हादसे के करीब 23 घंटे बाद अब तक 25 लोगों को केबिन से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। वहीं, छह केबिनों में फंसे 23 अन्य लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी है।
रेस्क्यू के बाद लोगों को एंबुलेंस से देवघर के सदर अस्पताल लाया गया है, जहां सभी को प्राथमिक उपचार देना शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देवघर में त्रिकूट पर्वत का रोपवे तार टूटने से हुए हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोमवार को साहिबगंज के लिए रवाना होने से पहले रांची हवाईअड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस हादसे के बाद युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य किया जा रहा है। लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए एनडीआरएफ और बचाव दल की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। इस हादसे पर सरकार की पैनी नजर है। सरकार की ओर से लगातार राहत और बचाव कार्य के निर्देश दिए जा रहे हैं।
भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से कमांडो ने उन सभी को रोपवे के केबिन से एयरलिफ्ट किया। सेना के जवान रस्सी के सहारे केबिन में पहुंचे, फिर गेट खोला और एक-एक कर लोगों को बाहर निकालने लगे। उधर स्थानीय युवक भी सतह से 50 फुट ऊपर टंगे केबिन से रस्सी में कुर्सी बांधकर यात्रियों को एक-एक कर नीचे उतारने में मदद कर रहे हैं। स्थानीय युवाओं की पूरी टीम भी बचाव अभियान में सेना के जवानों और एनडीआरएफ की टीम का सहयोग कर रही है।
राज्य सरकार के विशेष अनुरोध पर भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर से फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा रहा है।त्रिकूट पर्वत पर इस समय आईटीबीपी, भारतीय सेना के करीब सौ जवान मौजूद हैं। मौके पर पहुंचे पर्यटन मंत्री हफीजुल व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने बताया कि रविवार शाम को रोपवे की सैप टूटने के बाद यहां फंसे लोगों को निकालने का काम चल रहा था।
एनडीआरएफ और जिला प्रशासन के अधिकारियों की स्थानीय 30 सदस्यीय टीम पूरी रात यहां रही। इधर, पर्यटन मंत्री हाफिजुल हसन अंसारी और राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी सोमवार सुबह मौके पर पहुंचे हैं। झारखंड के पर्यटन मंत्री हाफिजुल हसन अंसारी ने कहा है कि रोपवे का संचालन करने वाली दामोदर घाटी कंपनी को काली सूची में डाल दिया जाएगा और पूरे मामले की जांच की जाएगी।
त्रिकुटा पर्वत पर 26 ट्रॉली से चलता है रोपवे
गौरतलब है कि त्रिकुटा पर्वत पर संचालित रोपवे कुल 26 ट्रॉलियों से चलता है। हालांकि, रविवार को 24 ही चल रहे थे। 2 ट्रॉलियों का मेंटेनेंस किया जा रहा था। हादसे के वक्त रोपवे के 20 केबिनों में 80 यात्री सवार थे। इनमें से आठ केबिनों में फंसे करीब 28 लोगों को रविवार रात तक ही रेस्क्यू कर लिया गया, वहीं अब 12 अन्य ट्रॉलियों में फंसे लोगों को निकालने का ऑपरेशन जारी है। वहीं, पहाड़ की चोटी पर फंसे करीब 25 से 30 लोग रात में पैदल ही उतर गए।
त्रिकूट पर्वत पर झारखंड का एकमात्र रोपवे
झारखंड का एकमात्र रोपवे देवघर के त्रिकूट पर्वत पर है। इसके जरिए यहां आने वाले पर्यटक पहाड़ पर जाते हैं। रविवार को जैसे ही रोपवे ने अपनी यात्रा शुरू की, उसके शीर्ष स्तर की रस्सी का रस टूट गया। रोपवे का संचालन दामोदर वैली कंपनी करती है। इससे सरकार को सालाना करीब 80 लाख रुपए का राजस्व मिलता है। इस घटना में ऊपर के दो केबिनों के यात्री अधिक घायल हुए हैं।