भिलाई। रामायण प्रचार समिति ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह को राष्ट्रनायक की उपाधी देने की मांगकी है। भिलाई में आज शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की शहादत की याद में आयोजित कार्यक्रम के दौरान रामायण प्रचार समिति ने यह मांग रखी। समिति के संस्थापक राम उपकार तिवारी ने कहा है कि देश की आजादी में भगत सिंह का योगदान बहुत ही अहम था इसलिए उन्हें यह उपाधी मिलन चाहिए।
इससे पहले रामायण प्रचार समिति ने सदस्य बड़ी संख्या में कैंप-1 सुभाष चौक स्थित शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के स्मारक स्थल पहुंचे। इस मौके पर समिति के सदस्यों ने पुष्पांजलि अर्पित कर तीनों अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। सभी ने मिलकर प्रतिमा की सफाई की। इसके बाद रामायण प्रचार समिति के सभी सदस्यों ने तीनों राष्ट्र नायकों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके बलिदान को याद किया।
बता दें 91 साल पहले 23 मार्च 1931 को अंग्रेज सरकार ने भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को फांसी दे दी थी। आज उनकी शहादत को पूरा देश याद कर रहा है। भारत की आजादी के लिए इन वीर सपूतों ने हसंते हुए मौत को गले लगा लिया था। आज उनकी शहादत दिवस के मौके पर रामायण प्रचार समिति द्वारा सुभाष चौक स्थित उनके स्मारक स्थल पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
वीरों की प्रतिमाओं से सजा है सुभाष चौक
कैंप -1 स्थित सुभाष चौक शहीद भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव की प्रतिमाओं से सजा हुआ है। भारत के नक्शे की आकृति के बीच शहीद भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव के चित्र उकेरे गए हैं। रामायण प्रचार समिति के सदस्यों ने यहा पहुंचकर सबसे पहले प्रतिमा की सफाई की, उसके बाद पुष्प अर्पित कर तीनों शहीदों को नमन किया। इस मौके पर अमर शहीदों की शहादत को याद किया गया।
रामायण प्रचार समिति द्वारा युवाओं में देश भक्ति की भावना जगृत करने के लिए उन्हें भगत सिंह की जीवनी से परिचय कराया। भगत सिंह ऐसा भारत चाहते थे, जहां सभी को एक सामान नजरों से देखा जाए। जिस भगत सिंह के नाम से ब्रितानियां हुकूमत की कांप उठता था, उन्हीं भगत सिंह को जन विरोध के डर से फांसी की तय तारीख के एक दिन पहले यानी 23 मार्च की शाम फांसी दे दी गई। ऐसा विश्व इतिहास में पहली बार हुआ।