तीरंदाज डेस्क। बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट या मार्कशीट में गड़बड़ी की खबरें सामने आती रहती हैं। इसे ठीक कराने आवेदन के साथ छात्र बोर्ड ऑफिस के चक्कर काटते रह जाते हैं, पर भी समाधान नहीं हो पाता। ऐसा ही मध्य प्रदेश के सागर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है।
मामले में जहां एक छात्र ने अपनी 12वीं की मार्कशीट में एक नंबर बढ़वाने के लिए मध्य प्रदेश बोर्ड (Madhya Pradesh Board) के खिलाफ तीन साल तक हाई कोर्ट में केस लड़ा। लंबी लड़ाई के बाद अब कोर्ट ने उसके हक में फैसला सुनाया है।
जानकारी के अनुसार सागर जिले के कबीर मंदिर के पास परकोटा के रहने वाले शांतनु हेमंत शुक्ला ने 2018 में एक्सीलेंस स्कूल से 12वीं की है। उन्हें 74.8 प्रतिशत अंक मिले थे, लेकिन शांतनु को भरोसा ज्यादा नंबर का था। 75 प्रतिशत अंक में 1 नंबर कम था, जो उन्हें अखर रहा था। क्योंकि 75 प्रतिशत अंक नहीं हो पाने से वे मेधावी योजना का लाभ नहीं ले पाए। इसके बाद शांतनु ने रीटोटलिंग का फॉर्म भर दिया, लेकिन रिजल्ट में कोई बदलाव नहीं हुआ।
शांतनु ने बताया कि उन्होंने परिवार से बात कर रीटोटलिंग के लिए अप्लाई किया, लेकिन रिजल्ट जस का तस आया। जब यहां से भी निराशा मिली तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल को दोबारा मूल्यांकन करने के आदेश दिए।
तीन साल में हुई 44 पेशियां
इस मामले में शांतनु माध्यमिक शिक्षा मंडल को हाई कोर्ट लेकर गए। उन्होंने तीन साल लंबी लड़ाई लड़ी और उनके केस की 44 पेशियां हुई। केस लड़ने में शांतनु के 15 हजार रुपये खर्च हुए। तीन साल चले केस के बाद हाई कोर्ट ने शांतनु के हक में फैसला सुनाया है और माध्यमिक शिक्षा मंडल को दोबारा चेकिंग के आदेश दिए। इतना ही नहीं कोर्ट ने रि-चेकिकिंग में शांतनु के 1-2 नहीं बल्कि पूरे 28 नंबर बढ़ाने का आदेश दिया है।
नई मार्कशीट में मिले 80.04% मार्क्स
शांतनु ने बताया कि 2018 में जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोविड की वजह से सुनवाई समय पर नहीं हुई। हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को 6 नोटिस भेजे, लेकिन कोई भी प्रवक्ता कोर्ट नहीं पहुंचा। शांतनु की कॉपियों की दोबारा जांच हुई और नई मार्कशीट में उन्हें 80.4% मार्क्स मिले।
(TNS)