रायपुर। छत्तीसगढ़ में हाथी और मानव के बीच संघर्ष की घटनाओं को कम करने के लिए प्रशासन और वन विभाग की ओर से की जाने वाली सारी कोशिशें बेअसर साबित हो रही हैं। हाथियों के हमले की वजह से जहां किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है, वहीं कई मामलों में हाथियों के आक्रामक दल द्वारा उनके घरों को भी तहस नहस कर दिया जाता है। ऐसे में अब हाथियों से प्रभावित फसलों की मुआवजा राशि नौ हजार से बढ़ाकर 24,000 रुपये प्रति एकड़ करने की मांग किसानों ने की है। इससे किसानों और ग्रामीणों की नाराजगी कम होगी और फसल बचाने के लिए जाते वक्त अचानक हुए हमलों से होने वाली जनहानि में भी कमी आएगी, साथ में हाथी मानव द्वंद्व भी कम होगा।
बताया जा रहा है कि उसने इस दर से भुगतान करने पर किसान जान जोखिम में डाल कर फसल बचाने के लिए हाथियों का सामना नहीं करेगा। वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मुआवजा बढ़ाने की मांग की है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि वर्तमान में प्रचलित मुआवजा राशि 9000 का निर्धारण साल 2016 में मिनिमम सेलिंग प्राइस 1470 रुपये प्रति क्विंटल के आधार पर किया गया था। मगर, अब एमएसपी साल 2021 में 32 प्रतिशत बढ़ कर रुपये 1940 प्रति क्विंटल हो गई है। अगर हाथियों द्वारा फसल हानि की क्षतिपूर्ति की दर रुपए 9000 में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाए तो अब हाथियों द्वारा फसल हानि की क्षतिपूर्ति की दर रुपये 11,880 प्रति क्विंटल होनी चाहिए।
विगत दो वर्षों से किसानों को धान की खरीद पर राजीव किसान न्याय योजना के तहत प्रति एकड़ रुपये 9000 का भुगतान किया जा रहा है, जो कि उस धान फसल पर किसानों को नहीं मिल पाता, जिनका खेतों में नुकसान हाथियों द्वारा हो गया होता है। लिहाजा, किसानों का अतिरिक्त नुकसान होता है। बढ़ी हुई एमएसपी महंगाई तथा राजीव किसान न्याय योजना के फायदे को देखते हुए मांग की गई गई कि प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति का भुगतान रुपए 20880 प्रति एकड़ (रुपये 11880 प्रति क्विंटल एमएसपी और राजीव किसान न्याय योजना के तहत प्रति एकड़ रुपये 9000) कि दर से कराया जाए। बताते चलें कि प्रति वर्ष हाथियों की वजह से हुए फसल के नुकसान का मुआवजा लगभग 15 करोड़ दिया जाता है। 24000 प्रति एकड़ का भुगतान कराया जाने से 40 करोड़ का भुगतान होगा, 25 करोड़ का अतिरित भुगतान प्रदेश के एक लाख करोड़ के बजट का सिर्फ 0.025 प्रतिशत होगा।
(TNS)