रायपुर। विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस (20 अक्टूबर) के अवसर पर स्पर्श मल्टी स्पेशियालटी हॉस्पिटल में जागरूकता कार्यशाला (workshop) का आयोजन किया गया। इसमें हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक वर्मा ने ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी, उसकी वजह और बचाव के उपायों की जानकारी दी। डॉ. वर्मा के अनुसार हमारी बिगड़ी जीवनशैली (lifestyle) और खानपान (food heabit) की खराब आदतें बाकी बीमारियों की तरह ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) का भी कारण बन रही हैं। ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार व्यक्ति की हडि्डयां कमजोर हो जाती हैं। नतीजतन पूरा जीवन कष्टमय हो जाता है।
डॉ. दीपक वर्मा (dr. deepak verma) के अनुसार पहले अक्सर वही लोग इस बीमारी की चपेट में आते थे, जिनकी उम्र 45 को पार कर चुकी होती थी। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। पहले ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या मुख्यतौर पर 45 के बाद वाली उम्र के लोगों को प्रभावित करती थी, लेकिन अब जिस प्रकार की लोग जीवन शैली जी रहे हैं और जिस प्रकार की डाइट फोलो कर रहे हैं ऐसे में कम उम्र के लोग भी हड्डी से संबंधित समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। बता दें कि हड्डियों से संबंधित समस्याएं हैं ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया यह दोनों एक दूसरे से बेहद अलग हैं। और इन दोनों स्थितियों में हड्डियों की ताकत और उसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में इन दोनों के बीच का अंतर पता होना जरूरी है।
बीमारी का खतरा ऐसे व्यक्तियों को ज्यादा
– जो व्यक्ति धूम्रपान करते हैं।
– जो व्यक्ति शराब पीत हैं।
– जिनके शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं।
– जो व्यक्ति स्टेरॉयड युक्त दवाएं लेते हैं।
– जो लोग थायराइड की समस्या का शिकार हैं।
– जिनकी शारीरिक गतिविधियां शून्य हैं।
– 35 वर्ष से ज्यादा आयु के लोग में इसका खतरा ज्यादा होता है।
महिलाओं को बेहद सावधानी की जरूरत
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्मोनल बदलाव तेजी से होता है। इससे महिलाओं की हडि्डयां कमजोर होने लगती है। ऐसी स्थिति में खानपान और डॉक्टर की सलाह से कुछ दवाओं के जरिए इस समस्या को कम किया जा सकता है। आज ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जो महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचाने में सक्षम हैं, लेकिन इनका सेवन विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह पर ही लेना उचित है।
ऑस्टयोपोरोसिस की शुस्र्आत
ऑस्टियोपीनिया बीमारी को ऑस्टियोपोरोसिस का पहला चरण माना जाता है। यानी हड्डी की शुरुआती क्षति ऑस्टियोपीनिया कहलाती है। हालांकि यह समस्या ऑस्टियोपोरोसिस समस्या की तरह गंभीर नहीं होती है। लेकिन ऑस्टियोपीनिया के कोई लक्षण नहीं होते हैं, जबकि ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त व्यक्ति कई लक्षणों का शिकार हो सकता है।
ऐसे बचें बीमारी से
अगर ऑस्टियोपीनिया की समस्या को शुरुआत में ही रोक दिया जाए तो ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर समस्या से बचा जा सकता है। हालांकि ऑस्टियोपीनिया के लक्षण नजर नहीं आते हैं लेकिन अपनी डाइट और दिनचर्या में बदलाव करके इससे होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। बीमारी से बचने ये करना होगा।
– धूम्रपान से बचें।
– शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें।
– दिनचर्या में उन व्यायामों को जोड़े जिससे शरीर सक्रिय रहे और वजन नियंत्रित रहे। इसके लिए एक्सपर्ट की मदद लें।
समस्या होने पर क्या खाएं
– आहार में उन चीजों को शामिल करें, जिनमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी पाया जाता है। कम वसा वाले डेहरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही, पनीर आदि भी हड्डी की समस्याओं को दूर करने में उपयोगी हैं।
– कैल्शियम के लिए व्यक्ति अपनी डाइट में सरसों का साग, ब्रोकली, शलजम का साग, भिंडी, सिंहपर्णी साग को भोजन में शामिल कर सकते हैं।
– पोटेशियम के लिए किशमिश ,आलू, पालक, पपीता, संतरा, संतरे का रस, केला, आलू बुखारा, टमाटर आदि का सेवन करना चाहिए।
– विटामिन सी के लिए हरी मिर्च, संतरा, अंगूर, ब्रोकली, स्ट्रॉबेरी, पपीता, लाल मिर्च, अनानास आदि खाने में शामिल होने चाहिए।
– मैग्नीशियम के लिए पालक, चुकंदर का साग, भिंडी, टमाटर, आलू, शकरकंद, किशमिश आदि को भोजन में शामिल करना चाहिए।
(TNS)