अंबिकापुर। राजमाता श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज में शनिवार रात एक साथ चार नवजातों की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि एनएससीयू में भर्ती मासूमों के इलाज में अस्पताल प्रबंधन ने लापरवाही बरती। परिजनों ने विरोध में जाम भी लगाया। एक सच ये भी है कि कुर्सी की रेस में स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली के फेरे लगा रहे हैं और इधर व्यवस्थाओं का भट्ठा बैठ रहा है। प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई है। अस्पतालों में सुविधाओं और व्यवस्थाओं पर किसी का ध्यान नहीं है। नतीजा एक ही रात में चार बच्चों की जिंदगी खत्म हो जाती है। एक तरह से व्यवस्थाओं की अनदेखी, लापरवाही और कुर्सी की रेस ने बच्चों की जान ले ली है।
मसूमों की मौत से नाराज परिजनों ने एमसीएच के सामने सड़क पर जाम लगा दिया। परिजनों का आरोप है कि चार घंटे में चार बच्चों की मौत से साफ है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा लापरवाही बरती गई है। करीब दो घंटे तक नाराज परिजन सड़क पर जमे रहे। परिजन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को मौके पर बुलाने के लिए अड़े थे। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री कैसे आते, वे तो दिल्ली में हैं। सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री ढाई-ढाई साल वाले प्रकरण के लिए फील्डिंग जमाने दिल्ली गए हैं। किसी तरह सिविल सर्जन डॉ. अनिल प्रसाद और शिशु रोष विशेषज्ञ डॉ. जेके रेलवानी ने परिजनों को समझाकर जाम खत्म कराया। मेडिकल कॉलेज के डॉ. लखन सिंह के अनुसार जिन बच्चों की मौत हुई है वे सभी प्री-मैच्योर थे और उनका वजन काफी कम था। बच्चों की मौत मामले की जांच के लिए डॉ. समीर जैन की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय टीम बनाई गई है।
स्वास्थ्य मंत्री की गैर मौजूदगी में प्रभारी मंत्री सक्रिय
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के दिल्ली में होने के कारण सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर नगरीय प्रशासन मंत्री शिवकुमार डहरिया अंबिकापुर पहुंच रहे हैं। डहरिया सरगुजा जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं। प्रभारी मंत्री वहां जिला प्रशासन के साथ अस्पताल की व्यवस्थाओं और बच्चों की मौत के कारणों पर चर्चा करेंगे। इससे पहले उन्होंने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों से चर्चा की। स्वास्थ्य मंत्री के भी दिल्ली से लौटने की सूचना है।
ढाई-ढाई की दौड़ से बिगड़ रही व्यवस्था
प्रदेश में ढाई-ढाई साल की सरकार की सच्चाई क्या है, यह तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ही बता सकते हैं, लेकिन एक सच ये है कि इस चक्कर में जनता को नुकसान हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री राज्य से ज्यादा दिल्ली में सक्रिय है। नतीजतन ब्यूरोक्रेसी भी ढील पड़ रही है और इसका खामियाजा जनता भोग रही है।