NEW DELHI. तमिल डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ ने 95वें अकादमी पुरस्कारों में डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट कैटेगरी में ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय शॉर्ट फिल्म बनकर इतिहास रच दिया है. नवोदित कार्तिकी गोंजाल्वेज द्वारा निर्देशित नेटफ्लिक्स की इस डॉक्यूमेंट्री ने ‘हॉलआउट’, ‘हाउ डू यू मेजरमेंट ए ईयर?’, ‘द मार्था मिशेल इफेक्ट’ और ‘स्ट्रेंजर एट द गेट’ को पीछे छोड़ते हुए ऑस्कर ट्रॉफी को अपना बनाया. ऑस्कर ट्रॉफी ग्रहण करते वक्त गोंजाल्वेज ने कहा, ‘मैं आज यहां हमारे और हमारी प्राकृतिक दुनिया के पवित्र बंधन, स्वदेशी जनजातीय समुदायों के सम्मान और अन्य जीवित प्राणियों के प्रति सहानुभूति और अंत में उनके साथ सह-अस्तित्व पर बोलने के लिए खड़ी हूं.’
The Elephant Whisperers है किस बारे में?
39 मिनट की ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ दो अनाथ हाथी के बच्चों रघु और अमू समेत उनकी देखभाल करने वालों बोम्मन और बेली के बीच अटूट बंधन को दर्शाती है. यह शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म तमिलनाडु में मुदुमलाई नेशनल पार्क के शानदार प्राकृतिक नजारों को भी सामने लाती है. यह दिखाती है कि किस तरह जनजातीय समुदाय के लोग प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व में रहते हैं. फिल्म न केवल जानवरों और इंसानों के अटूट बंधन और उनके सह-अस्तित्व में रहने की क्षमता को सम्मोहक तरीके से पेश करती है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और भारत में पर्यावरण संरक्षण की लंबी परंपरा को भी सामने लाती है.
The Elephant Whisperers के बारे में और जानें
सिखया प्रोडक्शंस की कार्तिकी गोंजाल्वेज निर्देशित इस शॉर्ट फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर 9 नवंबर 2022 को न्यूयॉर्क शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में हुआ था. डॉक एनवायसी के उपनाम से लोकप्रिय यह शॉर्ट फिल्म समारोह अमेरिका में बेहद प्रतिष्ठित माना जाता है. समारोह में अपने सफल प्रीमियर के बाद फिल्म को 8 दिसंबर 2022 को नेटफ्लिक्स पर विश्व स्तर पर रिलीज किया गया, जिससे दुनिया भर के दर्शकों को प्यारे हाथी और उनकी देखभाल करने वाले जोड़े की मार्मिक कहानी देखने को मिली. भारत में करुणा और समझ की आवश्यकता को पुरजोर तरीके से पेश करती मर्मस्पर्शी कहानी अपनी भव्य फोटोग्राफी और शक्तिशाली संदेश के लिए दर्शकों और समीक्षकों द्वारा समान रूप से सराही गई. ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ में बोम्मन और बेली रघु और अम्मू नाम के दो अनाथ हाथी के बच्चों की देखभाल करते हैं. मानव किशोरों की तरह हाथी के ये दोनों बच्चे भी हठ के दौर से गुजरते हैं और सही बात सुनने से इंकार कर देते हैं क्योंकि वे यौवन के करीब आ रहे होते हैं. इंसानी बच्चों की ही तरह अगर इन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जाती है, तो यह लंबे समय के लिहाज से ठीक नहीं होगा. एक हाथी के बच्चे को भी प्यार और करुणा की आवश्यकता होती है. फिर भी एक जंगली झुंड में वयस्क हाथी किशोर हाथी को फटकारते हैं. कुछ समय बाद बोमन और बेली से रघु को वन विभाग ले जाता है और एक अन्य देखभाल करने वाले के सुपुर्द कर देता है. इस जुदाई में बोमन और बेली रघु को बहुत याद करते हैं जिनके साथ दुख जाहिर करता है अमू.
मुदुमलाई नेशनल पार्क
तमिलनाडु के कोंगु नाडु क्षेत्र में कोयंबटूर से लगभग 150 किलोमीटर नीलगिरी पहाड़ियों के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर मुदुमलाई नेशनल पार्क या वन्यजीव अभयारण्य स्थित है. अभयारण्य को कर्नाटक और केरल राज्यों के साथ इसकी सीमाओं द्वारा पांच श्रेणियों क्रमशः मासिनागुडी, थेपकाडु, मुदुमलाई, करगुडी और नेल्लकोटा में बांटा गया है. कई अन्य संरक्षित क्षेत्रों को जोड़ने वाले एक वन्यजीव गलियारे के रूप में अपनी बेहद खास रणनीतिक स्थिति के कारण मुदुमलाई अभयारण्य नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह उत्तर में बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान और नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य और दक्षिण में मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान और साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान से घिरा है. ये पार्क, अभ्यारण्य और रिजर्व फॉरेस्ट लगभग 3,300 वर्ग किलोमीटर के जंगल में फैले हुए हैं. यहां 1,800-2,300 हाथियों की आबादी है.
पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों की प्रजातियां, घूमने का सही समय
हालांकि मुदुमलाई नेशनल पार्क पूरे साल खुला रहता है, लेकिन इसे अच्छी तरह से घूमने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से जून और फिर सितंबर से अक्टूबर हैं. मुदुमलाई नेशनल पार्क 55 जानवरों की प्रजातियों का घर है, जिनमें लगभग 80 बंगाल टाइगर भी शामिल हैं. हिरण, गौर, भारतीय हाथी, बंगाल टाइगर, धारीदार लकड़बग्घा, सुनहरा सियार, बोनट मकॉउ, लेपर्ड कैट और जंगली बिल्ली उन चुनिंदा प्रजातियों में से हैं जिन्हें देखना यादगार अनुभव रहता है. भारतीय विशालकाय गिलहरी, उड़ने वाली गिलहरी और चूहे भी यहां पाए जाते हैं. सरीसृपों में एशियाई पिट वाइपर, चश्माधारी कोबरा, अजगर, उड़ने वाली छिपकली, क्रेट और मॉनिटर छिपकली भी हैं. मुदुमलाई के जंगलों में बांस, सागौन, अरेडेसिया, रोजवुड, चंदन, जकरंडा, आम, जामुन, इमली, बरगद, पीपल, दालचीनी, अदरक, जंगली चावल, काली मिर्च, हल्दी और प्लुमेरिया बहुतायत से उगते हैं.