BENGALURU. अभी घूमने के लिए लोग बस, ट्रेन, कार या प्लेन से सफर करते हैं। वे ज्यादा से ज्यादा एक देश से दूसरे देश की बेहतरीन जगहों पर घूमने के लिए जाते हैं। मगर, क्या हो कि अगर आपको रॉकेट से यात्रा कराई जाए और वह भी इस दुनिया के बाहर स्पेस में जाकर धरती को देखने का मौका मिले। साथ ही आप धरती के गुरुत्वाकर्षण बल को भी महसूस नहीं कर सकें। जी हां, यह भारत में भी संभव होने जा रहा है। दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष पर्यटन मॉड्यूल में तेजी से प्रगति कर रहा है। दुनिया के कई देश अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों के अलावा अब भारत भी इस दौड़ में शामिल हो गया है।
6 करोड़ रुपए का आएगा खर्च
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोमनाथ ने कहा, ‘2030 तक अंतरिक्ष की यात्रा की जा सकती है। इसके लिए प्रति व्यक्ति करीब 6 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। इस यात्रा पर निकलने वाले लोग भी खुद को अंतरिक्ष यात्री कह सकेंगे।
हालांकि, इसरो प्रमुख सोमनाथ ने यह निर्दिष्ट नहीं किया कि अंतरिक्ष पर्यटन उप-कक्षीय यानी अंतरिक्ष के किनारे पर 100 किमी तक या कक्षीय यानी 400 किमी की ऊंचाई पर यात्रा कराई जाएगी। आमतौर पर ऐसी यात्राओं में पर्यटक करीब 15 मिनट अंतरिक्ष के किनारे बिताते हैं। वे नीचे उतरने से पहले कुछ मिनटों के लिए कम गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण का भी अनुभव करेंगे।
इसरो तेजी से काम करता है
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रतिनिधि) डॉ. जितेंद्र सिंह ने फरवरी में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इसरो ने भारत के सबऑर्बिटल अंतरिक्ष पर्यटन के लिए व्यवहार्यता अध्ययन करना शुरू कर दिया है। गगनयान के माध्यम से भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में इसरो विभिन्न तकनीकों को विकसित कर रहा है।