BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस ए.के. प्रसाद ने एक अहम तलाक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि बेरोजगार पति को ताने मारना और अपमानित करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए पति की तलाक की अर्जी को मंजूरी दे दी।
बता दें, मामला भिलाई निवासी वकील अनिल कुमार सोनमणि से जुड़ा है। उनकी शादी 26 दिसंबर 1996 को हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। दंपति के एक बेटा (16 वर्ष) और एक बेटी (19 वर्ष) है। शादी के बाद शुरुआती समय सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन धीरे-धीरे विवाद बढ़ने लगे। पत्नी ने पीएचडी की पढ़ाई पूरी की और फिर प्रिंसिपल की नौकरी जॉइन कर ली। पति का आरोप है कि इसके बाद पत्नी का व्यवहार पूरी तरह बदल गया और वह छोटी-छोटी बातों पर विवाद करने लगी।
कोरोना काल में बिगड़े हालात
कोरोना काल में जब कोर्ट बंद हो गए तो वकील पति की आमदनी बंद हो गई। इस दौरान पत्नी ने बेरोजगार होने पर पति को ताने मारना शुरू कर दिया और अक्सर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने लगी। पति मानसिक तनाव में आ गया।
पत्नी ने छोड़ा घर, तोड़ा रिश्ता
पति का आरोप है कि अगस्त 2020 में विवाद के बाद पत्नी बेटी को लेकर अपनी बहन के पास चली गई। कुछ दिनों बाद लौटी लेकिन 16 सितंबर 2020 को फिर से चली गई और एक पत्र लिखकर पति और बेटे से सारे रिश्ते तोड़ दिए। बेटे को पति के पास छोड़ दिया और बेटी को साथ ले गई।
पति ने कई बार पत्नी को वापस लाने की कोशिश की, लेकिन पत्नी नहीं मानी। इसके बाद पति ने दुर्ग फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई। हालांकि, अक्टूबर 2023 में फैमिली कोर्ट ने यह अर्जी खारिज कर दी।
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हाईकोर्ट का फैसला
पति ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। नोटिस और अखबार में प्रकाशन के बावजूद पत्नी हाईकोर्ट में पेश नहीं हुई। पति और गवाहों के बयान, पत्नी का छोड़ा हुआ पत्र और अन्य दस्तावेजों के आधार पर हाईकोर्ट ने माना कि पत्नी ने बिना किसी वैध कारण के पति को छोड़ा और उसके व्यवहार से मानसिक क्रूरता साबित होती है। इसीलिए हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए पति की तलाक की अर्जी को मंजूरी दे दी।