NEW DELHI NEWS. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नाम एक और उपलब्धि जुड़ने जा रही है। भारत की ISROऔर अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने मिलकर एक सैटेलाइट बनाया है। पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (NISAR) अब 30 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा। यह उपग्रह धरती की सतह, समुद्र, बर्फ और जंगलों पर होने वाले बदलावों पर नजर रखेगा। NISAR को 30 जुलाई शाम 5:40 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।
निसार NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) एक उन्नत उपग्रह मिशन है, जिसे ISRO और NASA ने मिलकर विकसित किया है। यह उपग्रह धरती की सतह, बर्फ, जंगल और महासागरों में होने वाले बदलावों को सटीक रूप से मापने में मदद करेगा। यह उपग्रह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की तस्वीर ले सकेगा, जिससे वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन, भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन और ग्लेशियर के पिघलने जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का अध्ययन कर सकेंगे। इसका डाटा खेती, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण में भी उपयोग होगा।
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निसार लॉन्च के बाद 90 दिन सेटअप में लगेंगे, फिर यह काम शुरू करेगा। वहीं, ISRO ने S-band रडार, उपग्रह ढांचा, डाटा सिस्टम और लॉन्च तैयार किया है। NASA ने L-band रडार, जीपीएस रिसीवर, सॉलिड-स्टेट रिकॉर्डर और 12 मीटर चौड़े रिफ्लेक्टर के लिए 9 मीटर का बूम बनाया है। लॉन्च के बाद पहले 90 दिन ‘कमिशनिंग फेज़’ कहलाएंगे, जिसमें सभी उपकरणों की जांच और सेटिंग की जाएगी।
ISRO के अनुसार यह मिशन पृथ्वी की निगरानी तकनीक में एक मील का पत्थर साबित होगा। वैज्ञानिकों को एक ही मंच से दो अलग-अलग रडार तकनीकों का डाटा मिलेगा, जिससे पर्यावरण और जलवायु से जुड़े बदलावों को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।
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क्या है NISAR मिशन का उद्देश्य?
- जमीन और बर्फ की हलचल को मापना।
- फसलों और जंगलों में हो रहे बदलावों को समझना।
- हिमालय, ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ का अध्ययन करना।
- भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन और भूजल स्तर में बदलावों का विश्लेषण करना।