NEW DELHI NEWS. आज के दौर में यूपीआई (Unified Payment Interface) हर किसी की जरूरत बन बन गई है। अब इसमें लगातार बदलाव भी हो रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने UPI लेन-देन को अधिक सुरक्षित, तेज और सर्वर फ्रेंडली बनाने के लिए कुछ नियमों में परिवर्तन किया है और नए नियम एक अगस्त, 2025 से लागू होंगे। NPCI ने यह फैसला पिछले कुछ महीनों में बढ़े सर्वर लोड और फेल हो रहे ट्रांजैक्शनों को देखते हुए लिया है। इन नए नियमों का उद्देश्य सर्वर पर दबाव कम करना है, जिससे UPI नेटवर्क तेज और निर्बाध तरीके से काम करे।
UPI के नए नियम के अनुसार एक अगस्त के से UPI यूजर्स एक दिन में सिर्फ 50 बार ही किसी एक एप से बैलेंस चेक कर पाएंगे। अगर आप दो अलग-अलग ऐप का इस्तेमाल करते हैं तो हर एप पर यह लिमिट अलग-अलग लागू होगी। व्यस्त समय (सुबह 10 से दोपहर 1 बजे और शाम 5 से रात 9:30 बजे तक) में बैलेंस चेक पर रोक या सीमित एक्सेस होगी ताकि सर्वर लोड कम हो।
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इसके अलावा Netflix, Amazon Prime, EMI या SIP जैसे ऑटो पेमेंट अब केवल नॉन-पीक टाइम में ही प्रोसेस होंगे। ऑटो पे सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे के बीच और रात 9:30 बजे के बाद होगा। पीक आवर्स में कोई भी ऑटोपे ट्रांजैक्शन नहीं होगा। वहीं, अब अगर कोई ट्रांजैक्शन फेल हो जाए या पेंडिंग हो, तो उसकी स्थिति कम से कम 90 सेकंड बाद ही चेक की जा सकेगी। दिन में केवल 3 बार ही ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक किया जा सकेगा। हर बार कम से कम 45-60 सेकंड का अंतर होना जरूरी होगा।
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अब हर सफल पेमेंट के बाद बैंक खुद SMS या इन-ऐप नोटिफिकेशन के ज़रिए बतायेगा कि आपके खाते में कितना बैलेंस बचा है। इससे दुकानदारों, फ्रीलांसरों, छोटे व्यापारियों को बार-बार बैलेंस चेक करने की जरूरत नहीं होगी। बता दें कि बीते महीनों में यूपीआई सर्वर पर तेजी से बढ़ते ट्रैफिक के चलते ट्रांजैक्शन फेल और स्लो होने की घटनाएं बढ़ी हैं। इसलिए ऐसा किया गया है।
यूपीआई सिस्टम साल में एक बार ऑडिट होगा
इसके अलावा अब हर बैंक को अपने UPI सिस्टम का साल में एक बार ऑडिट कराना होगा। पहली रिपोर्ट 31 अगस्त 2025 तक जमा करनी होगी। 30 दिन में सिर्फ 10 बार ही पेमेंट रिवर्सल (चार्जबैक) की मांग की जा सकेगी। पैसे ट्रांसफर करना, QR स्कैन से पेमेंट या मर्चेंट ट्रांजैक्शन जैसे मूलभूत UPI फीचर इन बदलावों से प्रभावित नहीं होंगे।