इंदौर। षटतिला एकादशी का माघ के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष षटतिला एकादशी 28 जनवरी शुक्रवार को है। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और चावल नहीं बनाए जाते हैं। पूजा के दौरान तिल का प्रयोग जरूर करना चाहिए। षटतिला एकादशी के दिन तिल चढ़ाने और तिल का दान करने का विधान है। व्रत रखने वाले लोगों को तिल से बनी चीजें और तिल के पानी में मिला हुआ पानी फलों के आहार में लेना चाहिए।
आचार्य गिरीश व्यास ने बताया कि षटतिला एकादशी व्रत में तिल का प्रयोग महत्वपूर्ण है। इस व्रत में तिल के जल से स्नान करना, तिल मलना, तिल का जल पीना, तिल का भोग लगाना, तिल से बने भोजन करने का विशेष महत्व है।
पूजन के लिए काले तिल, तिल के लड्डू, तुलसी दल, पंचामृत, मौसमी फल, सुपारी, पीला कपड़ा, पीला फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती, चंदन, रोली, अक्षत, भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र, गाय का घी, कपूर आदि वस्तुओं से भगवान का पूजन करना चाहिए। इसके बाद यथा संभव गरीबों या ब्राह्मणों को दान की जाने वाली वस्तुएं का वितरण करना चाहिए।
पूजा की विधि
षटतिला एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करें। सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पंचामृत से स्नान कराएं, फिर फूल, धूप, धूप, दीपक, सुगंध, चंदन, रोली, पान, पान, पान, केला, फल, पीले वस्त्र आदि दे दें। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम और षटतिला एकादशी व्रत कथा का पाठ करने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें।