MOSCOW NEWS. तालिबान के लिए अच्छी खबर है। पहली किसी देश ने उसके समर्थन में खुलकर आया है। दरअसल, अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान सरकार को रूस ने मान्यता दी है। यह फैसला न सिर्फ मध्य एशिया की राजनीति को प्रभावित करता है। जानकारी के अनुसार रूस की राजधानी मॉस्को में अफगानिस्तान के दूतावास पर तालिबान का झंडा फहराया गया है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिका की वापसी के बाद अफगानिस्तान की सत्ता दोबारा हासिल की थी. तब से अब तक अधिकांश देश सतर्कता के साथ तालिबान से दूरी बनाए हुए हैं।
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रूस के इस फैसले के पीछे कई रणनीतिक कारण हैं। रूस चाहता है कि तालिबान अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अन्य आतंकी संगठनों जैसे ISIS-K या अल-कायदा के लिए न होने दे। मध्य एशिया में स्थिरता बनाए रखने के लिए रूस को अफगानिस्तान में एक मजबूत शासन की जरूरत है। अफगानिस्तान के खनिज संसाधनों और व्यापारिक मार्गों में रूस की दिलचस्पी है। रूस का यह रुख अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।
रूस ने तालिबान को मान्यता दी है, लेकिन कुछ देश अब भी इसे आतंकी संगठन मानते हैं। भारत ने अब तक तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है और इसे सतर्क निगाहों से देखता है। पाकिस्तान के साथ हुए विवाद के बाद दोनों देशों में नजदीकियां देखने को मिली थी। अमेरिका ने भले ही काबुल से सेना हटा ली हो, लेकिन अब तक तालिबान को आतंकवादी संगठन की श्रेणी में ही रखता है। इसके खिलाफ कई प्रतिबंध भी लागू हैं।
इस लिस्ट में कनाडा का नाम भी शामिल है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ के कुछ देश भी तालिबान को मान्यता देने से इनकार करते हैं और महिला अधिकारों तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन को प्रमुख कारण मानते हैं। अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो तालिबान को रूस के अलावा अब तक किसी भी देश ने आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है।