रायपुर। डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी (Maa Bamleshwari) समेत प्रदेशभर में मां के दरबार में आज से भक्तों का मेला लगेगा। हिंदू धर्म में नवरात्रि (Navratri) का विशेष महत्व होता है। सामान्य लोगों के लिए हर वर्ष छह माह के अंतराल पर दो बार नवरात्रि (Navratri) आती हैं। एक तो अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होती है और इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं।
जानिए क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
अश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ-06 अक्टूबर 2021 को शाम 04 बजकर 34 मिनट से
अश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त- 07 अक्टूबर 2021 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 17 मिनट से लेकर 07 बजकर 07 मिनट तक
नवरात्रि में देवी पूजा के लिए पूजन सामाग्री
लकड़ी की चौकी या साफ पटरा, माता रानी की तस्वीर या प्रतिमा, लक्ष्मी गणेश की तस्वीर, देशी घी, दीपक, रुई (बाती बनाने के लिए), धूपबत्ती, बताशे, पूजा का जायफल, सूखी धूप, पान, सुपारी, इलायची, लौंग व कपूर,गाय के गोबर के उपले, फल-फूल, फूलों का हार माता रानी के लिए लाल चुनरी, श्रंगार का सामान (चूड़ी, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल, मेहंदी) आदि।
यह है कलश स्थापना की विधि
सबसे पहले प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद घर की अच्छे से साफ-सफाई कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर, गंगाजल छिड़क लें। मां दुर्गा, भगवान गणेश, लक्ष्मी व अन्य देवी-देवताओं की जिनकी पूजा करनी है उनकी तस्वीर स्थापित कर लें। इसके बाद कलश के ऊपर रोली से ऊं या स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और कलश के मोड़ पर कलावा बांधे। फिर मिट्टी के पात्र में बालू या मिट्टी को थोड़ा सा गीला करके उसमें जौं मिलाएं और कलश में जल भरकर उसके ऊपर स्थापित करें।