TIERANDAJ.COM जीवन में हर जगह संगीत छिपा है। घड़ी की टिक-टिक से लेकर पानी की बूंदों के गिरने की टप-टप की आवाज, सब संगीत ही तो है। कई रिसर्च में पाया गया है कि गायों को दुहने से पहले संगीत सुनाया गया, तो उन्होंने ज्यादा दूध दिया। तनाव और डिप्रेशन के मामले में भी मरीजों को काफी राहत मिली और उन्होंने जल्दी रिकवर किया।
जानकारों का कहना है कि कई बार जब आप डिप्रेशन या किसी तनाव से गुजर रहे होते हैं तो आपको महंगे इलाज की जगह म्यूजिक थेरेपी आजमानी चाहिए। यह आपके दिमाग को शांत करती है। अगर आपको गुस्सा बहुत आता है या एंजाइटी रहती है, तो उसके लिए भी आपसंगीत का सहारा ले सकते हैं। इससे मूड अच्छा रहता है और सकारात्मकता का एहसास होता है।
संगीत सुनने का सही समय क्या है?
वैसे यह बड़ा अजीब सवाल है। क्योंकि संगीत हर समय हमारे चारों ओर है। ध्यान की विभिन्न पद्धतियों पर अपने आस-पास की प्राकृतिक ध्वनियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जाता है। तो संगीत सुनने का समय सुबह से ही शुरू हो जाता है। शास्त्रीय संगीत में तो हर मौसम, हर पहर के लिए अलग संगीत का विधान है।
लिहाजा, आप सुबह से लेकर रात को सोने से पहले कभी भी संगीत सुन सकते हैं। अगर तनाव के कारण नींद नहीं आती है तो सोने से पहले संगीत सुनेंगे तो तनाव कम होगा और आप आराम से सो पाएंगे। खाना खाते समय भी आप संगीत सुन सकते हैं। हल्का संगीत कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है और आपको बेहतर खाने का स्वाद बेहतर लगेगा।
इसके अलावा आप यात्रा के दौरान आप भरपूर संगीत का आनंद ले सकते हैं। गाने सुनकर दिमाग को रिलैक्स करने का यह सबसे अच्छा समय है। आपको सुखदायक संगीत सुनना चाहिए। तेज संगीत से बचें और सड़क पर चलते हुए संगीत नहीं सुनना चाहिए। संभव हो तो ज्यादा लाउड म्यूजिक नहीं सुनना चाहिए। ऐसा संगीत सुनें, जो मन को रिलैक्स करे।
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