पद और ताकत स्थाई नहीं रहती, ये तो सब जानते हैं। लेकिन जब तक आप ताकत में हैं, यह सच आपके लिए महज एक जुमला है। लेकिन ताकत जाने के बाद इस सच से आप वास्तविक रूप से रू-ब-रू होते हैं। आपने कई मौकों पर देखा होगा कि पार्टी से किनारे किए जाने के बाद आडवाणी अनुपयुक्त, अनुपयोगी मानकर अनदेखे किए गए। कई मौकों पर देखा गया कि वे मंच पर तो हैं, लेकिन महज प्रतीक रूप में। ऐसा ही दृश्य आज रायपुर में नज़र आया। बस अंतर था कि आडवाणी की जगह कौशिक थे।
ये वीडियो कौशिक को आडवाणी बनाए जाने की कहानी कह रहा है pic.twitter.com/LfRfcIvHqV
— Tirandaj (@Tirandajnews) August 17, 2022
जिस तरह से किसी भी व्यापार का एकमात्र उद्देश्य पैसा कमाना होता है, उसी तरह किसी भी राजनीतिक दल का एक सूत्रीय लक्ष्य सत्ता हासिल करना होता है। अब इस लक्ष्य को हासिल करने में जो भी कड़ी कमजोर नज़र आती है, उसे बाहर कर दिया जाता है। इमारत के मजबूत स्तंभ भी एक समय बाद कमजोर पड़ जाते हैं। इमारत को मजबूत बनाए रखने के लिए स्तंभों की मरम्मत हो जाती है, लेकिन राजनीति में स्तंभ बदल दिए जाते हैं।
आज जब रायपुर में भाजपा ने अपने नेता प्रतिपक्ष को हटाया तो ठीक वैसा ही दृश्य नज़र आया, जैसा किसी के हाथ से सब कुछ छीन लेने पर दिखाई देता है। कौशिक मंच पर तो थे लेकिन वे मानो मंच पर मौजूद नेताओं के लिए अदृश्य थे। जैसा आडवाणी के साथ अक्सर देखा गया। हालांकि अपनी मौजूदगी दिखने के लिए वे कुछ बोल भी रहे थे, लेकिन ढलते सूरज पर किसका ध्यान होता है।
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