रायपुर। एक दशक से ज्यादा समय से अपनी मांगों को लेकर नया रायपुर के किसान आंदोलनरत हैं। दो महीने से अधिक समय से वे अपनी पुरानी मांगों पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शन में पुरुष किसानों का महिलाएं भी पूरा साथ दे रही हैं। अब आमरणअनशन भी शुरू हो गया।
महिला दिवस पर आज मंगलवार को धरना स्थल पर महिला किसान ही मौजूद रहीं। इस दौरान महिलाओं ने ही सभा को संबोधित किया। हक की लड़ाई के लिए सभी को एक होने का आह्वान किया गया। कहा कि महिलाओं को कमजोर न समझें। सरकार नया रायपुर से प्रभावित किसानों को गुमराह न करे। नारी शक्ति की परीक्षा लेने की बजाय सरकार मांगों को पूरा करने की ओर ध्यान दे।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मंगलवार से आमरण अनशन शुरू हुआ। इसमें महिला किसानों में मीना यादव (कयाबाधां), डेरहिन बाई धीवर (कयाबाधां), रूखमणी बाई सेन (कयाबाधां), जुगवा बाई पाल (कयाबाधां), तारा साहू (उपरवारा), बैजनत्री बाई (उपरवारा), लक्ष्मी खुटे (बरौदा), शांति बाई पाण्डेय (बरौदा), तोमिन निर्मलकर (बरौदा), रमा बाई पाल (बरौदा) नीरा बाई साहू ( उपरवारा), इन्द्रतीन बाई साहू (उपरवारा) शामिल रहीं। पुरुष किसानों में राजकुमार पटेल (उपरवारा), भारत दास मानिकपुरी (रीको), दुकालू राम सिन्हा (रीको), जगत राम सोनवानी (खण्डवा) शामिल रहे।
महिलाओं ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के समय के वादे अधर में है, उसी निर्णय पर अब कांग्रेस सरकार वादा निभाने का ढिंढोरा पीट रही है। बता दें कि इससे कुछ दिनों पहले किसानों ने मंत्रालय जाकर हर विभाग के प्रमुखों को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों से अवगत कराया था। इस दौरान पुलिस के 500 से अधिक अधिकारी और जवान यहां मौजूद रहे।
नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के मार्गदर्शक रूपन लाल चंद्राकर ने कहा 27 गांवों की जमीन लेकर नवा रायपुर इलाका विकसित किया गया है। अपनी जमीन देने वाले किसानों को अब तक अपने हक के लिए भटकना पड़ रहा है। किसानों का कहना है हम चाहते हैं कि किसानों को चार गुना मुआवजा दिया जाए। हर परिवार को 1200 स्क्वेयर फीट जमीन दी जाए, जिन किसान परिवारों ने अपनी जमीन एनआरडीए को दी उनके बेरोजगार युवकों को रोजगार दिया जाए।
नवा रायपुर निर्माण से प्रभावित किसान कल्याण संघ के नेता साकेत चंद्राकर के मुताबिक 27 गांवों की जमीन लेकर नवा रायपुर इलाका विकसित किया गया है। अपनी जमीन देने वाले किसानों को आज तक उनके हक के लिए भटकना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भी किसान इन मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। तब कांग्रेस पार्टी ने इन मांगों को पूरा करने का वादा किया था, मगर बीते 3 साल में वादे पूरे नहीं हुए। इस वजह से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
(TNS)