Tirandaj Desk। यूक्रेन पर रूस के हमले से पूरी दुनिया गोलबंद होने लगी है। पश्चिमी देश यूक्रेन के सर्मथन में आ गए हैं, जबकि चीन और पाकिस्तान ने रूस को समर्थन दिया है। भारत की भूमिका इसमें तटस्थ है। हालांकि, युद्ध से भारत का कोई लेना देना नहीं है। मगर, परोक्ष रूप से इसका असर भारत पर भी पड़ने लगा है। पहले तो रिफाइंड सहित कई चीजों के दाम अभी से बढ़ने लगे हैं, वहीं ऑटो सेक्टर पर भी असर पड़ने लगा है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने गुरुवार को रूस के खिलाफ व्यापक निर्यात प्रतिबंधों की घोषणा की है। इससे कॉमर्शियल इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर से लेकर सेमीकंडक्टर जैसे जरूरी सामानों का वैश्विक निर्यात कम हो गया है। इससे कंपनियां विनिर्माण योजनाओं में बदलाव कर सकती हैं या वैकल्पिक आपूर्ति लाइनों की तलाश कर सकती हैं।
कोविड-19 के वजह से वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी के चलते ऑटो उद्योग पहले से ही वाहनों की तंग आपूर्ति से जूझ रहा था। ऐसे में यूक्रेन पर रूस का हमला बहुत ही घातक साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में रूस-यूक्रेन युद्ध का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है, क्योंकि यूक्रेन और रूस में कई ऐसी वस्तुओं का उत्पादन होता है, जिनका वैश्विक स्तर पर निर्यात किया जाता है।
रूस में बड़ी मात्रा में पैलेडियम धातु पाई जाती है, जिसका इस्तेमाल गाड़ियों से निकलने वाली जहरीली गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के असर को कम करने के लिए होता है। इस युद्ध के कारण इस धातु की कमी होने से कीमतों में वृद्धि होगी, जिसके कारण भारत में गाड़ियों की कीमतों पर असर देखने को मिल सकता है। साथ ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों और उनमें लगने वाली बैटरी पर भी बुरा असर पड़ेगा। इससे सप्लाई चैन बाधित होगी और उनकी कीमतें बढ़ेंगी।