तीरंदाज, इंदौर। हर महीने में एक अमावस्या और एक पूर्णिमा होती है। फाल्गुन मास की अमावस्या से साल खत्म हो जाता है और इसके बाद नया साल चैत्र माह के रूप में शुरू होता है। पौराणिक मान्यताओं में भी अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों का विशेष महत्व बताया गया है। पूर्णमासी जहां देव कार्यों को समर्पित होती है, वहीं अमावस्या पितरों के पूजन के मान्य होती है।
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि अमावस्या पर पितरों के लिए दान, सीधा और तर्पण करना चाहिए। इससे पितृ प्रसन्न रहते हैं और उनके आशीर्वाद से परिवार में कोई कष्ट नहीं आता है। मान्यता है कि फाल्गुन अमावस्या पितरों को मोक्ष दिलाती है। इस बार फाल्गुन मास की अमावस्या तिथि 2 मार्च 2022 बुधवार को है। इससे पितरों की कृपा मिलती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष फल मिलता है। कहा जाता है कि फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
पंडित गिरीश व्यसा ने बताया कि फाल्गुन अमावस्या तिथि मंगलवार, 1 मार्च को दोपहर 01:00 बजे से शुरू होकर दो मार्च को रात 11:04 बजे तक चलेगी। इस बार फाल्गुन अमावस्या पर दो शुभ योग शिव योग और दूसरा सिद्ध योग रहेगा। सुबह 08:21 बजे तक शिव योग रहेगा, फिर इसके बाद सिद्धयोग शुरू होगा। तीन मार्च को सुबह 05:43 बजे तक सिद्धयोग बना रहेगा। ऐसी मान्यता है कि इन शुभ योगों में किया गया हर कार्य सफलता प्राप्त करता है।
पितरों को समर्पित होती है फाल्गुन मास की अमावस्या
फाल्गुन मास की अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध, दान और तर्पण करना चाहिए। इसके अलावा गीता के सप्तम अध्याय का पाठ करना शुभ होता है। इससे पितरों को कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पीपल की पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितृ दोष भी दूर होता है।