RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों के लिए दिल्ली में हाईकमान ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी की। इसके पहले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने छत्तीसगढ़ से संभावित दावेदारों की सूची लेकर लौटे एआईसीसी ऑब्जर्व्स और प्रभारी सचिवों से भी इसको लेकर चर्चा की । इस पर भाजपा ने तंज कसा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने-अपने खास को जिला अध्यक्ष बनाने दिल्ली में डटे हुए हैं ।

छत्तीसगढ़ में जिलाध्यक्ष के लिए कार्यकर्ताओं के बाद बड़े नेताओं के साथ राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी पायलट ने दिल्ली में वन टू वन चर्चा की चर्चा। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव, नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत और CWC मेंबर ताम्रध्वज साहू को विशेष रूप से दिल्ली बुलाया गया था ।

आज राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ से संभावित दावेदारों की सूची लेकर लौटे AICC के आब्जर्वर और प्रभारी सचिवों से चर्चा की । उसके बाद प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं दीपक बैज, भूपेश बघेल, चरणदास महंत, टी एस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू से वन टू वन चर्चा कर उनकी राय जानी ।

मिली जानकारी के अनुसार रायपुर शहर जिला से 6 लोगों की संभावित सूची में सुबोध हरितवाल, श्रीकुमार मेनन, दीपक मिश्रा, अजय साहू और कन्हैया अग्रवाल का नाम शामिल है । इसी तरह रायपुर जिला ग्रामीण से प्रवीण साहू, उद्योराम वर्मा, पप्पू बंजारे, नागभूषण राव, राम डीडलानी का नाम सामने आया है ।

इधर कांग्रेस जिला अध्यक्ष के एक दावेदार श्रीकुमार मेनन का दर्द भी सोशल मीडिया के जरिए सामने आया है। श्रीकुमार मेनन के सोशल मीडिया में किए पोस्ट में धोखा, गद्दार और पीठ में छुरा जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। पोस्ट में अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए श्रीकुमार ने लिखा कि “किसी ने कहा कि आप इतना धोखा कैसे सह सकते हो, धोखा वो भी अपने लोगों से, तो मैंने कहा धोखा तो नमकहराम और गद्दार करते हैं, जिनको हमने सब कुछ दिया, वही हमारी पीठ में छुरा भोंकते हैं। बता दें कि मेनन से पहले कांग्रेस नेता शिव सिंह ठाकुर ने भी सोशल मीडिया पर अपनी निराशा जाहिर की थी।

इधर कांग्रेस के जिला अध्यक्षों के चयन के लिए वरिष्ठ नेताओं के दिल्ली में जमावड़े पर भाजपा सांसद संतोष पांडेय ने तंज कसते हुए कहा कि विधानसभा की टिकट हो चाहे सांसद की टिकट हो या फिर कोई भी नियुक्ति हो इनका कोई भी काम बिना विवाद, बिना सिर फुटव्वल, बिना कुर्सी तोड़े होता नहीं है । जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद भी ऐसा कुछ होने वाला है।
कांग्रेस ने इस बार संगठन की मजबूती के लिए वरिष्ठ नेताओं के पसंद की बजाय कार्यकर्ताओं की पसंद का जिला अध्यक्ष चुनने के लिए संगठन सृजन अभियान चलाया था। मगर जिस तरह से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने-अपने खास के लिए लॉबिंग करते नजर आए उससे ऐसा लगता नहीं है कि कार्यकर्ताओं की पसंद का जिला अध्यक्ष बन पाएगा।


































