BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में चल रहे चर्चित मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच और गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताते हुए हस्तक्षेप की मांग की थी। अदालत ने साफ कहा— जांच के इस चरण में न्यायिक दखल का कोई ठोस कारण नहीं दिखता।
चैतन्य बघेल ने कोर्ट में दलील दी थी कि ED की कार्रवाई राजनीतिक प्रेरित है और बिना पर्याप्त साक्ष्यों के उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच चलाई जा रही है। उन्होंने गिरफ्तारी को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हनन’ के रूप में बताया था।
लेकिन अदालत ने सभी तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि जांच एजेंसी अपने अधिकार क्षेत्र में कार्य कर रही है। न्यायालय ने यह भी कहा कि अभी तक ED की कार्रवाई में किसी भी कानूनी त्रुटि का स्पष्ट आधार नहीं मिला है, इसलिए हस्तक्षेप उचित नहीं होगा।
16 करोड़ की मनी ट्रेल पर केंद्रित है जांच
सूत्रों के अनुसार, ED ने आरोप लगाया है कि चैतन्य बघेल ने कथित रूप से फर्जी कंपनियों के माध्यम से करीब 16 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की है। इन कंपनियों का इस्तेमाल राजनीतिक और व्यावसायिक लेनदेन छिपाने के लिए किया गया था। एजेंसी ने पहले ही कई दस्तावेज़ और डिजिटल सबूत जब्त किए हैं।
राजनीतिक गलियारों में मचा हलचल
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दे रही है, जबकि भाजपा नेताओं का कहना है कि “कानून सबके लिए समान है, और जांच को उसका रास्ता तय करने दिया जाए।”
पार्टी सूत्रों का कहना है कि ED अब मामले में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है।