BILASPUR NEWS. बिलासपुर से रायपुर के बीच नेशनल हाईवे पर जगह-जगह पड़ी दरारों और खराब सड़क व्यवस्था को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अगुवाई वाली खंडपीठ ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा कि अब केवल शपथपत्रों से काम नहीं चलेगा।
बता दें, कोर्ट ने NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को निर्देश दिए कि वे अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों और उसी खराब सड़क से होकर हाईकोर्ट आएं, ताकि उन्हें आम लोगों की परेशानी का अंदाजा हो सके। कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब सरकार और NHAI की ओर से सड़क की मरम्मत को लेकर सिर्फ कागजी जवाब सौंपे गए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बारिश के मौसम में दरारों और गड्ढों से दुर्घटनाएं होना स्वाभाविक है और यह आम नागरिकों की जान के साथ खिलवाड़ है। कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं कि सड़क की गुणवत्ता, समयसीमा और निगरानी व्यवस्था की पूरी जानकारी अगली सुनवाई में पेश की जाए।
शपथपत्र नहीं, ज़मीनी हकीकत देखो
हाईकोर्ट ने NHAI और लोक निर्माण विभाग (PWD) से जवाब मांगा था कि आखिर सड़क की मरम्मत और गुणवत्ता जांच को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं। लेकिन जब कोर्ट के सामने केवल औपचारिक शपथपत्र और कागजी जवाब पेश किए गए, तो मुख्य न्यायाधीश ने तीखी नाराजगी जताई और कहा कि “फाइलों में सब कुछ ठीक है, लेकिन सड़क पर सच्चाई कुछ और ही है।”
कोर्ट ने यह भी पूछा कि आखिर कितने समय में सड़क की मरम्मत पूरी होगी, इसमें किस स्तर की सामग्री का उपयोग हो रहा है और निगरानी की क्या व्यवस्था है। कोर्ट ने दो टूक कहा कि यदि गुणवत्ता से समझौता किया गया है, तो जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रोजेक्ट डायरेक्टर को किया तलब
अदालत ने NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को व्यक्तिगत रूप से अगली सुनवाई में उपस्थित होने का आदेश दिया है और साथ ही यह शर्त भी रखी है कि वह उस NH से होकर ही कोर्ट पहुंचे, जिस पर दरारें और गड्ढे बने हैं। कोर्ट ने कहा, जब अफसर खुद इस सड़क से चलेंगे, तभी उन्हें आम जनता की पीड़ा का अंदाजा होगा।
जनहित याचिका पर चल रही सुनवाई
यह मामला एक जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से कोर्ट के संज्ञान में आया था, जिसमें कहा गया कि बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे की हालत बेहद खराब है और प्रशासनिक लापरवाही के कारण रोजाना दुर्घटनाएं हो रही हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि निर्माण के कुछ महीनों बाद ही सड़क पर दरारें आने लगी थीं, जो निर्माण में भ्रष्टाचार और घटिया सामग्री के उपयोग की ओर इशारा करती हैं।