NEW DELHI NEWS. मंबई हमले का आरोपी व आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी दिलाने वाले मशहूर वकील उज्ज्वल निकम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया है। इसके अलावा केरल के वरिष्ठ समाजसेवी और शिक्षाविद सी. सदानंदन मास्टर, भारत के पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और इतिहासकार एवं शिक्षाविद मीनाक्षी जैन भी राज्यसभा जाएंगी। ये नियुक्तियां उन सीटों के लिए की गई हैं, जो पहले के नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने से खाली हुई थीं।
राज्यसभा के लिए मनोनीत होने के बाद उज्जवल निकम ने कहा कि मुझे पीएम मोदी का फोन आया.।उन्होंने मुझसे मराठी में बात की। उन्होंने कहा कि आपको राष्ट्रपति जी बड़ी जिम्मेदारी देने वाली हैं। मुझे विश्वास है आप उसका निर्वाहन अच्छे से करेंगे। अब राज्यसभा में नामांकन के बाद उज्ज्वल निकम फिर से देश के कानून और नीतियों से जुड़े बड़े फैसलों में भाग लेंगे। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(3) के तहत, राष्ट्रपति को राज्यसभा में 12 सदस्यों को नॉमिनेट करने का अधिकार है।
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उज्जवल निकम का जन्म 30 मार्च 1953 को महाराष्ट्र के जलगांव में एक मराठी परिवार में हुआ था, उनके पिता देवरावजी निकम जज और बैरिस्टर थे, जबकि मां गृहिणी थीं। निकम ने पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक (B.Sc.) और जलगांव के एसएस मनियार लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री (LLB) ली। उज्जवल निकम ने अपने करियर की शुरुआत जलगांव में डिस्ट्रिक्ट प्रॉसिक्यूटर के रूप में की। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी मेहनत, तैयारी और दमदार दलीलों से देशभर में पहचान बनाई।
मशहूर वकील निकम ने टाडा (TADA) अदालत में 14 साल से अधिक समय तक सेवाएं दीं और आतंकवाद से जुड़े मामलों में अभियोजन का नेतृत्व किया। उन्हें सबसे ज्यादा पहचान 26/11 मुंबई आतंकी हमले के केस से मिली। उन्होंने कोर्ट में अजमल कसाब को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई. इस केस में उनके काम ने लोगों का कानून पर भरोसा और मजबूत किया। इसके अलावा उन्होंने 1993 मुंबई बम धमाके, प्रमोद महाजन हत्या, खैरलांजी कांड और कई नक्सली और आतंकवाद से जुड़े मामलों में भी अभियोजन पक्ष का नेतृत्व किया है।
भाजपा से लड़ चुके हैं लोकसभा चुनाव
2024 में मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट से उज्ज्वल निकम ने भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वे जीत नहीं पाए। हालांकि, उनके अनुभव और योगदान को देखते हुए उन्हें राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए नामांकित किया है। यह नामांकन संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत हुआ है, जिसके तहत कला, साहित्य, विज्ञान या समाज सेवा में खास योगदान देने वालों को राज्यसभा के लिए चुना गया है।