RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण को लेकर प्रदेश के 23 शिक्षक संघों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिक्षक संगठनों का आरोप है कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर 2008 के सेटअप में बदलाव कर हजारों पद खत्म किए जा रहे हैं, जिससे न केवल गरीब बच्चों का शिक्षा का अधिकार प्रभावित होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता भी गिरेगी।
शिक्षक संघों ने रायपुर में प्रेस कांफ्रेंस कर ऐलान किया कि वे 28 मई को प्रदेशभर से हजारों शिक्षकों के साथ राजधानी में जुटेंगे और मंत्रालय का घेराव करेंगे।
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संघों का कहना है कि सरकार की इस प्रक्रिया से लगभग 45 हजार शिक्षकों के पद समाप्त हो जाएंगे। इससे शिक्षकों की भारी कमी हो जाएगी और कई स्कूलों में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होगी। उनका कहना है कि यह कदम शिक्षा के बुनियादी ढांचे को कमजोर करने वाला है।
सरकार का पक्ष
वहीं, सरकार का कहना है कि यह युक्तियुक्तकरण शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और प्रभावशाली बनाने के लिए किया जा रहा है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह है कि जहां आवश्यकता है वहां शिक्षक उपलब्ध कराए जाएं, ताकि सभी छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके। शासन के अनुसार, युक्तियुक्तकरण का मकसद यह है कि छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित किया जा सके और कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन न रहे।
स्कूलों की मौजूदा स्थिति
राज्य की 30,700 प्राथमिक स्कूलों में प्रति शिक्षक औसतन 21.84 छात्र हैं, और 13,149 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में यह अनुपात 26.2 छात्र प्रति शिक्षक है।
हालांकि, 212 प्राथमिक स्कूल शिक्षक विहीन हैं और 6,872 स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है।
48 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में भी शिक्षक नहीं हैं, जबकि 255 में सिर्फ एक शिक्षक है।
362 स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र नाममात्र के हैं या एक भी नहीं, लेकिन शिक्षक नियुक्त हैं।
वहीं, शहरी क्षेत्रों के 527 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 10 या उससे कम है।
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सरकार के अनुसार, जिन स्कूलों में छात्र कम और शिक्षक ज्यादा हैं, वहां से शिक्षकों को जरूरतमंद स्कूलों में भेजा जाएगा। इससे शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की समस्या हल होगी। स्कूल संचालन का खर्च घटेगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा। एक ही परिसर में प्राथमिक से लेकर हायर सेकंडरी तक की कक्षाएं चलेंगी, जिससे बच्चों को पुनः प्रवेश की आवश्यकता नहीं होगी। इससे ड्रॉपआउट दर में कमी, पढ़ाई में निरंतरता और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सुविधाएं एक जगह मिल सकेंगी।
वहीं शिक्षकों का मानना है कि युक्तियुक्तकरण अगर शिक्षकों की संख्या घटाकर किया गया तो इससे शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, वहीं सरकार इसे एक प्रशासनिक सुधार बता रही है जिससे शिक्षा का स्तर उठाने की बात की जा रही है। अब देखना यह होगा कि 28 मई के प्रदर्शन के बाद सरकार इस पर पुनर्विचार करती है या नहीं।