RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने 117 साल बाद एक्ट में बदलाव किया है। इससे जमीन रजिस्ट्री में 10 व्यवस्था लागू हो गई है। अब किसी को भी जमीन खरीदने के लिए पंजीयन कार्यालय के चक्कर नहीं काटने होंगे। एक ही जमीन की दो बार रजिस्ट्री भी नहीं हो पाएगी। क्योंकि कोई भी किसी जमीन के बारे में घर बैठे ऑनलाइन पता कर सकेगा। यही नहीं रजिस्ट्री के बाद नामांतरण के कराने के लिए किसी ऑफिस चक्कर नहीं काटने होंगे। क्योंकि रजिस्ट्री होते ही ऑटोमोड में नामांतरण का बी-1 प्रमाणित हो जाएगा।
आधार लिंक सुविधा: पंजीयन कार्यालय में पक्षकारों की पहचान दो गवाह से की जाती है। किसी की संपत्ति दूसरे व्यक्ति ने बेच दी। इससे वास्तविक भूमि स्वामी को सालों तक कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने की समस्या दूर होगी। आधार लिंक होने से बायोमेट्रिक के माध्यम से पक्षकार की पहचान आधार डेटा बेस से की जाएगी।
ऑनलाइन सर्च और डाउनलोड की सुविधा: संपत्ति खरीदने से पहले पूरी जांच पड़ताल जरूरी है। अभी रजिस्ट्री की जानकारी के लिए पंजीयन कार्यालय में स्वयं या वकील के जरिए उपस्थित होकर सर्च करना पड़ता है, इस प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। संपत्ति खरीदने से पहले उसकी जांच पड़ताल पक्षकार खुद कर सकेंगे। निर्धारित शुल्क का भुगतान कर खसरा नंबर से पूर्व की सभी रजिस्ट्री का ब्योरा देखा जा सकेगा। साथ ही उसकी कॉपी को डॉउनलोड किया जा सकेगा।
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भारमुक्त प्रमाण पत्र: संपत्ति लेने से पहले पूर्व पक्षकारों को यह जानना जरूरी है कि संपत्ति पर किसी प्रकार का भार, बंधक या लोन तो नहीं है। संपत्ति किसी अन्य को पूर्व में बेच तो नहीं दी गई। पक्षकारों की सुविधा के लिए ऑनलाइन सर्च के साथ ही भारमुक्त प्रमाण पत्र ऑनलाइन जारी करने का प्रावधान किया गया है। ऑनलाइन ही भारमुक्त प्रमाण पत्र मिल भी जाएगा।
कैशलेस पेमेंट की सुविधा: वर्तमान में रजिस्ट्री ऑफिस में पंजीयन शुल्क का भुगतान कैशलेस हो गया है। स्टांप और पंजीयन शुल्क का भुगतान पक्षकार अपनी सुविधानुसार क्रेडिट-डेबिट कार्ड, पीओएस मशीन, नेट बैंकिंग या यूपीआई से कर सकेंगे। पक्षकार को स्टाम्प ड्यूटी और पंजीयन फीस का भुगतान अलग अलग करना पड़ता था, जिसमें पक्षकारों के साथ-साथ विभाग को भी कैश हैंडलिंग की समस्या होती थी। अब इंटीग्रेटेड कैशलेस पेमेंट सिस्टम से दोनों शुल्क एक साथ भुगतान हो सकेगा।
वॉट्सएप मैसेज सर्विसेज: पंजीयन प्रणाली में पक्षकारों को (क्रेता/विक्रेता) को वॉट्सएप के माध्यम से नोटिफिकेशन भेजने का प्रावधान किया गया है। पक्षकारों को स्लॉट बुकिंग, रजिस्ट्री की प्रगति और रजिस्ट्री होने की रियल-टाइम जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
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डिजी-लॉकर की सुविधा: रजिस्ट्री दस्तावेजों को भारत सरकार के डिजी-लॉकर सुविधा से सुरक्षित स्टोर किया जा सकेगा। वर्तमान में शासन और निजी क्षेत्र की कई सेवाओं के लिए रजिस्ट्री पेपर की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए पक्षकार को रजिस्ट्री ऑफिस आना पड़ता है। डिजी-लॉकर के माध्यम से इसका एक्सेस और नकल प्राप्त किया जा सकेगा।
ऑटो डीड जनरेशन की सुविधा: मौजूदा प्रक्रिया में पक्षकार को दस्तावेज बनाने, स्टांप खरीदने, अपॉइंटमेंट लेने और पंजीयन के लिए अलग-अलग लोगों जैसे डीड राइटर, स्टांप वेंडर आदि का चक्कर लगाना पड़ता है। जनता की सुविधा के लिए रजिस्ट्री को पेपर लेस बना दिया गया है। इस प्रक्रिया में विलेख प्रारूप (डीड) का चयन कर कंप्यूटर में एंट्री करने के दौरान दस्तावेज खुद तैयार हो जाता है। वहीं दस्तावेज पेपरलेस होकर उप पंजीयक को ऑनलाइन पेश होगा। रजिस्ट्री करने के बाद दस्तावेज खुद ही ऑनलाइन प्राप्त हो जाएगा।
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डिजी-डॉक्यूमेंट की सुविधा: कई ऐसे दस्तावेज होते हैं जिसमें स्टाम्प लगाना जरूरी है, लेकिन पंजीयन नहीं होता है, जैसे कि शपथ पत्र, अनुबंध पत्र। कानूनी भाषा की जटिलता के कारण लोगों को स्वयं ऐसे दस्तावेज तैयार करने में कठिनाई होती है। इसके निराकरण के लिए डिजी-डॉक सेवा विकसित किया गया है। इस सेवा से जनता रोजाना उपयोग में आने वाले दस्तावेज तैयार कर सकेंगे। डिजी-डॉक सुविधा के तहत डिजिटल स्टाम्प के साथ दस्तावेज तैयार जाता है।
घर बैठे रजिस्ट्री की सुविधा: ऑनलाइन विलेख निर्माण, साक्षात्कार और पंजीयन की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। होम विजिट के माध्यम से पंजीयन कराए जाने की सुविधा और तत्काल अपॉइंटमेंट सहित पारिवारिक दान, हक त्याग आदि में पंजीयन फीस मात्र 500 रुपए लिए जाने का प्रावधान है।
खुद से नामांतरण की सुविधा: अचल संपत्ति के दस्तावेजों के पंजीयन के बाद उसे राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज कराना होता है। नामांतरण की कार्रवाई के लिए वर्तमान में पक्षकारों को लगभग 1 से 2 महीने तक का समय लग जाता है। कुछ केस में कई महीने भी लग जाते हैं।
देश के इन राज्यों में पहले से लागू
जनता की सुविधा के लिए पंजीयन के साथ ही नामांतरण के संबंध में राजस्व विभाग के साथ इंटीग्रेशन किया गया है। यह सुविधा अभी मात्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु राज्यों में ही है। साथ ही हरियाणा में खुद नामांतरण 7 दिन बाद होता है। इन चारों राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ एक कदम आगे निकल गया है यहां ऑटोमोड में रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण हो रहा है। इतने कम समय में किसी भी राज्य में नामांतरण नहीं किया जा रहा है।