JAGDALPUR NEWS. बस्तर में आतंक का आका माना जाने वाला गगन्ना उर्फ बासवराजू का फोर्स ने अंत कर दिया है। इसके बाद बारे में कई तरह की जानकारी मिली है। जानकारी के अनुसार बासव राजू 1980 में श्रीकाकुलम में रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन और आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के बीच झड़प के दौरान एकमात्र बार गिरफ्तार हुआ था। इसके बाद वह भूमिगत हो गया और नक्सली गतिविधियों में सक्रिय रहा। 1987 में वह श्रीलंका के लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के पूर्व लड़ाकों से गुरिल्ला युद्ध और विस्फोटकों के उपयोग की ट्रेनिंग ली थी और इसे स्थानीय स्तर पर बनाना शुरू किया था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि बासव राजू पूर्व लड़ाकों को बस्तर बुलवाया था और यहां के जंगलों में ट्रेनिंग ली थी और कुछ का कहना है कि वह ट्रेनिंग के लिए श्रीलंका भी गया था, लेकिन यह तय है कि वह ट्रेनिंग एलटीटीई के पूर्व सदस्यों से लिया था। जानकारी के अनुसारनक्सलियों की सेंट्रल कमेटी में 2000 में चुना गया, तब से सेंट्रल कमेटी का मेंबर था। 63 साल की उम्र में 2018 में जनरल सेक्रेटरी बना। डेढ़ करोड़ का इनामी था, यही संगठन चलाता था। वारंगल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की। 1980 के दशक में नक्सली संगठन से जुड़ा था।
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ऐसे लीड करता था बस्तर को
आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम के कोटाबोम्मल मंडल के जियन्नापेटा थाना क्षेत्र निवासी बासव राजू उर्फ नंबाल्ला केशव राव उर्फ गगन्ना उर्फ प्रकाश उर्फ कृष्णा उर्फ विजय उर्फ दारापू नरसिम्हा रेड्डी उर्फ नरसिम्हा उर्फ बीआर सेंट्रल कमेटी मेंबर रहा, जो सेंट्रल कमेटी का सचिव था। वह अपने साथ एके-47 राइफल रखता था। वह पिछले 25 साल से दंडकारण्य क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में सक्रिय था। ताड़मेटला से लेकर झीरम हमले तक में इसकी भूमिका रही है। हाल के दिनों में यह पूर्व बस्तर डिवीजन को लीड कर रहा था। दरअसल अबूझमाड़ में हुए बड़े ऑपरेशनों के बाद यह नक्सली कैडर डगमगाने लगा था। ऐसे में उसे अबूझमाड़ में कैडर्स को संभालने का विशेष जिम्मा सौंपा गया था।
बताया गया कि जिल इलाके यानी बोटेर में फोर्स ने 27 नक्सलियों को मार गिराया है, वह घने जंगलों वाला इलाका है। जिस स्थान पर नक्सलियों ने अपना डेरा जमाया था उसके पास से एक नदी भी बहती है। घने जंगल में हलचल की खबर पहले मिल जाती है और पास में नदी हो तो कई दिनों तक एक ही स्थान पर डेरा जमाए रखने में दिक्कत नहीं होती है। तभी नक्सलियों ने यहां डेरा जमाया था।
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नक्सली बना रहे स्नाइपर, 500 मीटर दूर तक निशाना
बस्तर में नक्सली देसी कट्टा के अलावा अब स्नाइपर गन भी बनाने लगे हैं। करीब 20 से 25 हजार रुपए खर्च कर 1 स्नाइपर गन तैयार कर रहे हैं। इस गन से करीब 400 से 500 मीटर दूर तक निशाना लगाया जा सकता है। सालभर पहले टेकलगुडेम में इसी गन से नक्सलियों ने जवानों पर फायर किया था। मुठभेड़ में 3 जवान शहीद हुए थे। स्नाइपर के अलावा नक्सली गन की बुलेट भी खुद ही बना रहे हैं। पहली बार जवानों ने बिग साइज के बीजीएल भी बरामद किए हैं। ये इतने शक्तिशाली हैं कि मकान को भी उड़ा सकते हैं। मैदानी इलाके में 50 से 60 मीटर के दायरे को अपनी चपेट में ले सकता है।
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