BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता ने अपने ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका को हाईकोर्ट ने 2024 में खारिज कर दी थी। इस पर एक बार फिर से पुर्नविचार याचिका दायर की। याचिका के सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में गलत जानकारी पेश करने की बात सामने आयी। ऐसे में हाईकोर्ट ने कार्यपालन अभियंता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना ठोका है। मामले की सुनवाई जस्टिस अमितेन्द्र किशोर प्रसाद के बेंच में हुई।
बता दें, पीडब्ल्यूडी के सचिव ने 30 नवंबर 2024 को आदेश जारी किया था। इस आदेश में डीके चंदेल को रायपुर से बेमेतरा और निर्मल कुमार सिंह को बेमेतरा से रायपुर ट्रांसफर किया गया था। इस आदेश के खिलाफ निर्मल कुमार सिंह ने याचिका दायर कर ट्रांसफर को हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका को हाईकोर्ट ने दिसंबर में स्वीकार कर ली थी।
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याचिका में बताया गया था कि निर्मल कुमार आगामी 30 जून 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। स्थानांतरण नीति के मुताबिक एक साल के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने यह तथ्य कोर्ट से छिपाया था कि पहले ही रायपुर में कार्यभार ग्रहण कर चुके थे। इस आदेश के खिलाफ ट्रांसफर से प्रभावित कार्यपालन अभियंत डीके चंदेल ने हाईकोर्ट में पुनरीक्षक्षण याचिका लगाई।
इस याचिका में बताया गया कि निर्मल कुमार सिंह ने वर्ष 2022 में ही स्थानांतरण नीति का गलत हवाला दिया। यह आदेश केवल एक वर्ष के लिए थी फिलहाल अस्तित्व में नहीं है। इसके अलावा याचिका में यह भी बताया गया कि दिसंबर 2024 को उन्होंने बेमेतरा में कार्यभार ग्रहण कर लिया था। फिर निर्मल कुमार सिंह ने 9 दिसंबर 2024 को दोबारा बेमेतरा में कार्यभार ग्रहण कर लिया।
याचिका के माध्यम से कोर्ट में ये जानकारी मिली। इसे कोर्ट ने गलत माना और गलत जानकारी देने के चक्कर में कार्यपालन अभियंत निर्मल कुमार सिंह पर 25 हजार का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने 30 नवंबर 2024 के आदेश को लागू करने का निर्देश दिया।