RAIPUR NEWS. दो साल से धान मिलिंग का भुगतान नहीं होने से छत्तीसगढ़ के राइस मिल संचालकों ने सरकार ने खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरु कर दिया है। गुरुवार को श्रीराम मंदिर में प्रदेश के लगभग ढाई हजार राइस मिल संचालकों की बैठक हुई। जिसमें निर्णय लिया गया कि अब कोई भी मिल संचालक धान का उठाव कर मिलिंग नहीं करेगा, जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती।
संघ के सदस्यों ने बताया की मिल संचालकों को साल 2022-23 और 2023-24 का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे में मिल मालिकों के पास काम करने के लिए पैसा ही नहीं है। वहीं पूरे प्रदेश में किसी भी जिले में धान उठाव और चावल भेजने का भाड़ा एक ही दर 14 रुपए का है जो की पूरी तरह अव्यवहारिक और अन्याय संगत है। केंद्र से पैसे मिलने के बाद भी मिल मालिकों का शोषण किया जा रहा है।
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वहीं उनका कहना है कि कैबिनेट में भी मिल संचालकों को लेकर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, जबकि खुद मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था। मिल संचालकों ने 20 दिसंबर तक धान उठाव नहीं करने का निर्णय लिया है। 21 दिसबंर को बैठक कर आगे का निर्णय लिया जाएगा।
धान खरीदी केंद्रों के आपरेटर हड़ताल पर बैठे
एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार जबरदस्त धान खरीदी का दावा कर रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेशभर के 27 सौ से ज्यादा धान खरीदी केंद्रों के आपरेटर हड़ताल में चले गए हैं।जिसके कारण धान खरीदी, भुगतान, ट्रासर्पोटेशन का आनलाइन काम पूरी तरह ठप्प पड़ गया है। आपरेटर अपनी मुख्य मांगे नवीन वित्त आदेश के अनुसार वेतन वृद्धि, आपरेटरों का विभाग तय करने और धान खरीदी नीति में आउटसोर्सिंग व्यवस्था शुरु करने का फैसला लेने के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं । उनका साफ कहना है की जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी वह काम पर नहीं जाएंगे।