BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में नेशनल हाईवे निर्माण के दौरान भू स्वामियों द्वारा लगातार अपनी भूमियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट कर अधिक से अधिक मुआवजा लेने का मामला सामने आया है। इस पर एक याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट ने चिंता और नाराजगी जताई है और कहा है कि मुआवजा को लेकर बनाए गए दो स्लैब में से एक में फायदा लेने की गरज से भूमि स्वामी अपनी जमीनों को टुकड़ों में बांटकर बटांकन कर दे रहे हैं और अधिक मुआवजा ले रहे हैं इस पर अपील को डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है।
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बता दें, चिरमिरी के हल्दीबाड़ी निवासी पूनम सेठी की बिलासपुर के सकरी में नेशनल हाईवे क्रमांक-130 पर खसरा नंबर -310-9 में 490 वर्गमीटर जमीन थी। इसे उन्होंने जगदीश पांडेय से खरीदी थी। रजिस्ट्री के बाद उन्होंने म्यूटेशन के लिए आवेदन दिया। जिसे 10 अगस्त 2017 को अनुमति मिल गई। रजिस्ट्री के दौरान स्टाम्प शुल्क वर्ग मीन के आधार पर लगा था। जमीन खरीदने के कुछ दिनों बाद बिलासपुर-कटघोरा नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण और फोरलेन सड़क बनाने के लिए भूअर्जन की प्रक्रिया शुरू की गई।
अवार्ड पारित करने से पहले भूअर्जन अधिकारी ने भू विस्थापितों को मुआवजे के आकलन के लिए पटवारी से रिपोर्ट मांगी। पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रति वर्ग मीटर के आधार पर मुआवजा हासिल करने के लिए जमीन की छोटे-छोटे टुकड़ों में खरीदी की गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर भू अर्जन अधिकारी ने 1 जुलाई 2018 को उनकी जमीन का प्रति हेक्टेयर के आधार पर मुआवजा तय किया। उन्होंने इसके खिलाफ याचिका लगाई थी।
हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण और नई सड़कों के निर्माण के लिए भू अर्जन के प्रकरणों में जमीन का बटांकन को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। प्रदेश में मुआवजा देने के लिए दो स्लैब बनाए गए हैं। एक प्रति वर्ग मीटर के आधार पर और दूसरा प्रति हेक्टेयर की दर से। भू स्वामियों को जब पहले स्लैब के बारे में पता चला कि राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के दौरान उनकी जमीन दायरे में आ रही है तो बिना समय गवाए जमीनों को टुकड़ों में बांटकर बटांकन कर लिया और प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा के लिए क्लेम कर दिया।