BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एसबीआर कॉलेज मैदान के मामले में चल रही सुनवाई पर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने सरकार और बजाज बंधुओं की रिट अपील पर अंतिम सुनवाई के बाद खेल मैदान की सेल डीड और उसकी बिक्री को गलत ठहराया है। हाईकोर्ट ने यह जमीन पुनः म्यूटेशन के लिए कानून के अनुरूप शासन के नाम दर्ज करने का आदेश दिया है।
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बता दें, सन 1944 में गठित एसबीआर कॉलेज ट्रस्ट जो उच्च शिक्षा के लिए समर्पित था। वर्तमान में जमीन विवादों का केन्द्र रहा। ट्रस्ट द्वारा 1975 में कॉलेज भवन और लगभग 8 एकड़ जमीन सरकार को सौंपने के बाद भी 2.38 एकड़ की बची जमीन को खेल मैदान के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। हाल ही में इस जमीन को बेचने के प्रयासों ने छात्रों और समाज के विरोध का कारण बना था।
ये है पूरा मामला
यह जमीन ट्रस्ट की पारिवारिक संपत्ति थी और इसे खेल मैदान के रूप में संरक्षित रखा गया था। ट्रस्ट के नए सदस्यों द्वारा अपने आपको अध्यक्ष घोषित करते हुए इस जमीन का सौदा कर दिया गया। जब यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा था, तो शासन की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ और न ही जवाब दाखिल किया गया। छात्रों और पूर्व छात्रों ने खेल मैदान को बचाने के लिए विरोध किया। छात्र नेताओं और समाज के प्रयास से यह मामला जिला प्रशासन और उच्च शिक्षा मंत्री तक पहुंचा।
कोर्ट ने दिया शासन के नाम करने का फैसला
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के बेंच में हुई। कोर्ट ने अपने फैसले में अतुल बजाज, सुमित बजाज, अमित बजाज और संतोष बजाज की ओर से दायर की गई याचिका में बताया कि यह हमारे पूर्वजों ने शिक्षा के उद्देश्य से दान में दी थी। हमें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था और चीफ जस्टिस के फैसले ने सच और झूठ का अंतर साबित कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जमीन का सौदा गैरकानूनी है और इसे खेल मैदान के रूप में संरक्षित रखा जाएगा।