KORBA NEWS. बालको की रेल विस्तार परियोजना को बड़ा झटका लगा है। प्रशासन ने बालको की रेल विस्तार परियोजना को आगामी आदेश तक रोक दिया है। स्थानीय लोगों और संगठन की शिकायत के बाद प्रशासन ने जब जांच की तो मालूम हुआ जिस भूमि पर निर्माण किया जा रहा है वह विवादित है, इसलिए विवाद का निपटारा होने तक निर्माण रोक दिया गया है।
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दरअसल, भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) द्वारा बालको चेकपोस्ट में नई रेल लाइन बिछाने का कार्य जोरों से चल रहा है। इस अवैध रेल लाइन बिछाने की लागत 1,02,16,94,184/- (एक सौ दो करोड़ सोलह लाख चौरानबे हज़ार एक सौ चौरासी रुपये) है। यह ठेका MBPL नामक कंपनी को दिया गया है। इस कंपनी को नियमों की परवाह नहीं है। बालको की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के रुकने से प्रबंधन सकते में है।
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इस ज़मीन पर सीएसईबी अपना होना बताती है जिसके लिए उसने बालको को कई बार पिछले एक साल में पत्राचार किया है। साथ ही थाने में भी निर्माण रुकवाने पत्र दिया था। बावजूद इसके बालको ने बैक डोर से प्रशासन से अपने हक में निर्माण अनुमति प्राप्त कर ली थी। लेकिन कुछ जागरूक संगठनों ने इस पर आपत्ति की जिसके बाद जांच में विवाद का पता लगा।
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बताया जाता है कि जिस सीएसईबी की रिक्त जमीन पर निर्माण किया जा रहा है वो कभी बड़े झाड़ का जंगल हुआ करती थी। उस समय वन संरक्षण अधिनियम लागू नहीं था, ये अधिनियम 1980 में लागू हुआ और जमीन जो है वो बड़े झाड़ के जंगल के मद में तत्कालीन राजस्व ग्राम कोहड़िया के खसरा नंबर 486 की जमीन को वर्ष 1975-76 से मध्यप्रदेश विद्युत मंडल 200 मेगावाट के परियोजना हेतु विद्युत विभाग को आबंटित किया गया था।
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उक्त जमीन को विद्युत परियोजना हेतु 99 वर्ष हेतु सरकार ने लीज पर दिया है। आज वनभूमि पर कोई भी निजी निर्माण संभव नहीं है। काफी कवायद के बाद मिली इस भूमि को बचाने सीएसईबी याने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के अधिकारी बिल्कुल भी रुचि नहीं ले रहे हैं।
जबकि इनकी ही भूमि के 45.87 डिसमिल भूमि पर बनाये गए बालको विस्तार के लिए ब्लीचिंग प्लांट को लेकर करीब एक साल पहले सीएसईबी के कार्यपालन अभियंता ने पत्राचार किया था, लेकिन उसको भी बंद कराने या निर्माण रोकने कभी हिम्मत नहीं दिखाई। ऐसे में रेल लाइन के लिए कब्जा की जा रही सैकड़ों एकड़ भूमि को सहेजने कोई सार्थक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।