BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में हत्या के प्रयास के आरोप में 6 वर्ष की सजा के फैसले को चुनौती देते हुए अपील की थी। इस पर हाईकोर्ट से उसे पूरी राहत तो नहीं मिली, लेकिन 6 साल की सजा को 6 माह 14 दिन की सजा में बदल दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय जायसवाल के बेंच में हुई। अपीलकर्ता को पूरे 20 साल बाद फैसला सुनाया गया।
बता दें, मामला जांजगीर-चांपा क्षेत्र का है। जिले के अवरीद निवासी संजय सिन्हा ने 12 फरवरी 2004 को विवाद होने पर ग्रामीण रामनाथ के सिर में लकड़ी के बत्ता से वार कर दिया। इससे रामनाथ बेहोश होकर गिर गया। उसे उपचार के लिए पहले निजी अस्पताल ले जाया गया। प्रारंभिक उपचार के बाद डॉक्टर ने उसे जांजगीर जिला अस्पताल भेज दिया।
अस्पताल के मेमो पर शिवरीनारायण पुलिस ने संजय सिंह के खिलाफ धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। सत्र न्यायालय ने आरोपी को धारा 307 में 6 वर्ष कठोर कारावास एवं 500 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। आरोपी ने 2004 में ही हाईकोर्ट में अपील पेश की थी। 20 वर्ष चले इस मुकदमा में जस्टिस संजय जायसवाल की कोर्ट में अंतिम सुनवाई हुई।
आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि उसे निजी चिकित्सक के मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सजा सुनाई गई। जबकि सरकारी अस्पताल में उपचार करने वाले चिकित्सक ने प्रतिपरीक्षण में कहा कि घायल रामनाथ के सिर में साधारण चोट रहा। वह पूरे समय ठीक था। एक्सरे में भी साधारण चोट बताया गया। हाईकोर्ट में उपचार करने वाले सरकारी डॉक्टर के कथन एवं मेडिकल रिपोर्ट पर अपीलकर्ता आरोपी को धारा 323 का दोषी माना है। हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता को सुनाई गई धारा 307 की सजा को रद कर करते हुए धारा 323 में सजा सुनाई। कोर्ट ने जेल में बिताए 6 माह 14 दिन को सजा में बदला व अर्थदंड की सजा को यथावत रखा है।