GARIYABAND NEWS. गरियाबंद जिला के लोग हाथी की समस्या से इतना अधिक परेशान है कि त्योहार के दिन त्योहार मनाना छोड़ 70 की कि.मी. दूर से अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्ट्रेट घेराव करने पहुंच गए। कलेक्ट्रेट के गेट में बैठकर शासन प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की। वहीं प्रशासनिक अमले को बताया कि वे रात को अपने परिवार, बच्चों को लेकर पानी टंकी में और दूसरे के पक्के घरों के छत पर सो रहे हैं।
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हालाकि पुलिस व प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद नजर आया और लगातार उन्हें समझाइस दी, इसके बाद लोगों ने प्रशासन को अल्टीमेटम सौंप कर जल्द समस्या को हल करने की बात कही। ग्रामीणों ने समस्या का हल ना होने पर उग्र आंदोलन करने की बात कही है।
आपको बता दें कि मैनपुर विकासखंड के छिंदौला,जिडार जाडापदर,घिरौला के सैकड़ों स्त्री पुरुष लगातार हाथी के उत्पाद से परेशान हैं। आज गरियाबंद कलेक्ट्रेट पहुंचने के पूर्व रैली निकालकर शासन प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की। और कलेक्ट्रेट के गेट पर घेराव करते हुए धरने पर बैठ गए।
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उनका कहना है कि 40 हाथियों का दल (सिकासेर दल) के चलते उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वे न तो दिन में न खेत जा पा रहे हैं ना रात में घर में रह पा रहे हैं । मुनादी कर जंगल व खेत जाने की मनाही कर दिया गया है, ऐसी स्थिति में वे जिए तो कैसे जिएं। ना रोजी मजदूरी कर पा रहे हैं ना भोजन मिल पा रहा है।
और तो और हाथी उनके लहलते सैकडों एकड़ फसल को बर्बाद कर दिए हैं और उसका मुआवजा भी अब तक नहीं मिल पा रहा है । साथ ही मुआवजा भी मात्र 9 हजार देने की बात कही जा रही है जबकि उन्हें 75 हजार प्रति एकड़ मिलना चाहिए। वहीं हाथी द्वारा मानव के मौत पर एक करोड़ का मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जाना चाहिए।
खास बात यह है कि इस आंदोलन में पहुचने के खर्चों के लिए हाथी पीड़ित क्षेत्र के लोगों ने आपस में चंदा कर हर घर से दो-दो लोग आंदोलन में शामिल होने पहुंचे थे।