BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में लगे बिजली के खंभों से हाथियों की करंट लगने से मौत के कई मामले सामने आये है। हाथियों के करंट से लगातार हो रहे मौत के मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। मामले की सुनवाई काफी समय से चल रही है। गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु के बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वन विभाग ने कोर्ट के समक्ष शपथपत्र देते हुए कहा कि अब हाथियों को बचाने का काम छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी भारत सरकार के बताए गए दिशा-निर्देश के तहत काम करेगा। इसके लिए बिजली विभाग ने निर्देश भी जारी किए है। वहीं इस विषय में विस्तार से कोर्ट को जानकारी दी गई।

बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में वन विभाग के शपथ पत्र पेश कर हाथियों को बचाने की जानकारी दी। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले का निराकरण करते हुए भारत सरकार के गाइड लाइन के मुताबिक कार्य को करने दिशा-निर्देश दिए है। बिजली विभाग भारत सरकार के गाइडलाइंस के तहत कार्य करेगा।

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भारत सरकार की वर्ष 2016 की गाइड लाइंस के अनुसार हाथी जैसे वन्य प्राणियों को बिजली करंट से बचने के लिए हाथी की सूंड जहां तक जा सकती है उतनी ही ऊंचाई तक विद्युत लाइन रखनी है। गाइड लाइन के मुताबिक बिजली कंपनी हाथियों के मूवमेंट वाले वन क्षेत्रों में विद्युत लाइन की ऊंचाई 20 फीट करने और विद्युत तारों को कवर्ड कंडक्टर में बदलने या अंडरग्राउंड केबल बिछाने के लिए कार्य करेगी।

इसके साथ ही कंपनी समय-समय पर झुकी हुई बिजली की लाइनों और बिजली के खंबों को ठीक करने के अलावा बिजली के खंबों पर 3 से 4 मीटर तक बारबेट वायर लगाएगी ताकि वन्य प्राणी सुरक्षित रहे। इसके अलावा हाथी विचरण क्षेत्र में बिजली कंपनी जंगली जानवरों के शिकार हेतु फैलाए जाने वाले स्थान व फसलों की सुरक्षा के लिए बनाए गए घेरे की नियमित जांच करेगी। साथ ही नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व, अभ्यारण, एलिफेंट कॉरिडोर में वन विभाग के साथ वर्ष में दो बार सर्वे करेगी।




































