BILASPUR. मुंगेली जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कांटेली में पदस्थ व्याख्याता गोपाल सिंह राजपूत को जिला शिक्षाधिकारी मुंगेली ने दिव्यांगता परीक्षण कराए जाने का आदेश दिया था। इसके विरूद्ध व्याख्याता ने याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजूपत की बेंच में हुई। याचिका में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने व्याख्याता के विरूद्ध प्रतिकूल कार्रवाई करने पर रोक लगा दिया है।
बता दें, जिला मेडिकल बोर्ड बिलासपुर द्वारा 45 फीसदी दिव्यांगता प्रमाण पत्र गोपाल सिंह राजपूत के पक्ष में जारी किया गया था। जिसके आधार पर गोपाल सिंह राजपूत वर्ष 2010 में शिक्षा कर्मी वर्ग एक के पद पर नियुक्ति हुई थी। पंचायत विभाग में आठ वर्ष सेवा पूर्ण करने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किया गया।
जिला शिक्षाधिकारी मुंगेली के आदेश के तहत गोपाल सिंह राजपूत व्याख्याता को निर्देशित किया गया कि 28 अगस्त 2024 को डॉ.भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर के ईएनटी विभाग में उपस्थित होकर दिव्यांगता का परीक्षण कराए। जिला शिक्षाधिकारी मुंगेली के आदेश को चुनौती देते हुए गोपाल सिंह राजपूत ने हाईकोर्ट में अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी व नरेन्द्र मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
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मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने पैरवी करते हुए कहा कि जिला मेडिकल बोर्ड बिलासपुर द्वारा जारी दिव्यांगता प्रमाण पत्र को याचिकाकर्ता पहले से ही विभाग में प्रस्तुत कर चुका है। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के द्वारा प्रस्तुत लोकहितवाद को डिवीजन बेंच द्वारा खारिज किया जा चुका है।
इस आधार पर की राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। जिससे मौजूद डॉक्टरों पर मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी विकलांगता प्रमाण पत्र के सत्यापन का अनावश्यक काम का बोझ बढ़ रहा है। उपरोक्त आधारों पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता के विरूद्ध प्रतिकूल कार्रवाई पर रोक लगा दी है और शिक्षा विभाग के सचिव जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।