BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेत खनन पट्टों की नीलामी प्रक्रिया में निविदा शुल्क की वापसी को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बलौदाबाजार भाटापारा के कलेक्टर को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ताओं द्वारा जमा किए गए शुल्क की वापसी पर नियमानुसार कार्रवाई करने व याचिकाकर्ताओं को कलेक्टर के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने कहा है। कोर्ट ने कलेक्टर को चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई के निर्देश दिए है।
ये भी पढ़ेंः ED के नाम पर रिटायर्ड अधिकारी से 54 लाख की ठगी, 3 आरोपी पुलिस के गिरफ्त में
बता दें, मामला 11 अप्रैल 2023 का है। जब जिला कलेक्टर कार्यालय द्वारा रेत खनन पट्टों का आवंटन के लिए सर्वाजनिक सूचना जारी की गई थी। यह आवंटन छत्तीसगढ़ लघु खनिज साधार रेत नियम 2019 के तहत रिवर्स नीलामी प्रक्रिया द्वारा किया जाना था। नीलामी 4 मई से 10 मई 2023 तक आयोजित की जानी थी और पांच खनन क्षेत्र पिकारी, चंगोरी, रिवादीह, अमलडीहा और दतान के लिए बोलीदाताओं के प्रति क्षेत्र 10 हजार रुपये का निविदा शुल्क जमा करना था।
ये भी पढ़ेंः मोदी सरकार के 100 दिन पूरे, बीजेपी सांसदों ने गिनाई उपलब्धियां
याचिकाकर्ताओं ने 6 मई 2023 को पांचों क्षेत्रों के लिए कुल 50 हजार रुपये का निविदा शुल्क जमा किया था लेकिन अपरिहार्य कारणों से नीलामी प्रक्रिया में भाग नीं ले सके। इसके बाद भी जमा की गई राशि की वापसी नहीं की गई। इसके चलते याचिकाकर्ताओं ने 17 जुलाई 2023 को कलेक्टर कार्यालय को निविदा शुल्क की वापसी के लिए अभ्यावेदन दिया था लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। याचिकाकर्ता अभिजीत फ्रेंकलिन, रीना तिवारी, अंकित तिवारी, अरविंद कुमार सिंह एवं हमेन्द्र बलियर ने अधिवक्ता मतीन सिद्धिकी एवं अधिवक्ता अभ्युदय त्रिपाठी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
रेत खनन निविदा प्रक्रिया में भाग नहीं लेने के बावजूद शुल्क की वापसी के लिए दिए गए आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं होने के चलते उच्च न्यायालय ने जिला कलेक्टर, बलौदाबाजार भाटापारा को चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का उल्लंघन
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने पैरवी करते हुए कोर्ट के समक्ष तर्क पेश करते हुए कहा कि निविदा प्रक्रिया में भाग नहीं लेने के बाद भी शुल्क की वापसी करने के बजाए इसे रोकना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। यह प्रतिवादी के लिए अन्यायपूर्ण लाभ की स्थिति उत्पन्न करता है। साथ ही उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया जो राज्य के कार्यों में निष्पक्षता और गैर मनमानी की गारंटी देता है।