BILASPUR. राज्य वन सेवा परीक्षा में लिखित परीक्षा के बाद जारी मेरिट सूची के आधार पर चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति आदेश जारी ना करने व हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए उम्मीदवारों ने एसीएस वन के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है।
बता दें, राज्य वन सेवा परीक्षा में चयनित एसीएफ एवं रेंजर उम्मीदवारों को नियुक्ति पूर्व पैदल चलाया गया था। चार घंटे में 26 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी। आयोजन स्थल में भारी अव्यवस्था के कारण कई उम्मीदवारों को दूरी पार करने में चार घंटे से अधिक का समय लग गया था।
वन मंत्री केदार कश्यप ने हस्तक्षेप करते हुए लिखित परीक्षा में पास युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया था। वन मंत्री के हस्तक्षेप और निर्देश को सही ठहराते हुए चयनित उम्मीदवारों के नियुक्ति करने का आदेश जारी कर दिया था। सुनवाई के दौरान वन विभाग के अफसरों ने कोर्ट को बताया था कि पैदल चाल रेंजर भर्ती के लिए अनिवार्य अहर्ता नहीं है।
हाईकोर्ट के आदेष की अवमानना
जानकारी के मुताबिक अपर मुख्य सचिव ने वन मंत्री और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को ताक में रखते हुए चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति आदेश जारी करने के बजाए प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवारों को मौका देने का निर्णय लिया। अपर मुख्य सचिव के इस फैसले की जानकारी दी और उम्मीदवारों ने न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का मामला बताते हुए अपर मुख्य सचिव के खिलाफ न्यायालयीन अवमानना याचिका दायर की।
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मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रतीक्षा सूची के उन उम्मीदवारों को जिसने वन मंत्री के निर्देश के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका वापस लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट के निर्देश के बाद याचिकाकर्ता योगेश बघेल एवं अन्य ने याचिका वापस ले ली है।