BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पूर्व सूचना आयुक्त अनिल जोशी ने पेंशन की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल के बेंच में हुई। उन्होंने याचिका को खारिज करते हुए इस मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा है कि अधिवक्ता परिषद के सदस्यों में से नियुक्त राज्य सूचना आयुक्त अधिवार्षिकी पेंशन पाने का हकदार नहीं है।
बता दें, पूर्व सूचना आयुक्त अनिल जोशी की पेंशन को लेकर दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा है कि राज्य सूचना आयुक्त अपने कार्यकाल के दौरान मुख्य सचिव के बराबर वेतन और भत्ते प्राप्त करने के बावजूद, राज्य के मुख्य सचिव के समान सेवानिवृत्ति पेंशन लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं है।
राज्य सूचना आयुक्त की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन सेवानिवृत्ति पेंशन पात्रता के लिए पारंपरिक मानदंडों के अनुरूप नहीं है। कार्यकाल आमतौर पर छोटा होता है। यह आवधिक होता है। संबंधित व्यक्ति ने अपना पूरा पेशेवर जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित नहीं किया है इसलिए यह मानना कि याचिकाकर्ता अपनी आवधिक नियुक्ति के पूरा होने पर सेवानिवृत्ति लाभों का हकदार है यह उचित नहीं है।
राज्य सरकार ने नहीं माना हकदार
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल एन भरत ने कहा कि आरटीआई अधिनियम में राज्य सूचना आयुक्त को पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करने का कोई प्रावधान नहीं है। उनकी नियुक्ति आवधिक नियुक्ति थी और याचिकाकर्ता को पेंशन का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।
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क्या है नियम
पेंशन के लिए पात्रता आमतौर पर 10 साल की न्यूनतम योग्यता अवधि पूरी करने पर निर्भर करती है। यह मानदंड इस धारणा को रेखांकित करता है कि पेंशन किसी संक्षिप्त या अस्थायी सेवा के लिए पात्रता नहीं है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र में निरंतर और महत्वपूर्ण योगदान के लिए एक पुरस्कार है। सेवा की अवधि जितनी लंबी होती है पेंशन लाभ उतना ही अधिक होगा। जो सेवा की अवधि और सेवानिवृत्ति के बाद वित्तिय सहायता के बीच आनुपातिकता को दर्शाता है।