RAIPUR. नई शिक्षा नीति के आने के बाद लगातार शिक्षा व्यवस्था में बदलाव देखने को मिल रहा है। इस बीच, छत्तीसगढ़ में नया फॉर्मूला बनाया गया, जिसके तहत UG फर्स्ट ईयर की पढ़ाई और परीक्षा होगी। यह व्यवस्था पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के अन्य राजकीय विवि से संबद्ध कॉलेजों में लागू होगी। प्रदेश में स्वाध्यायी छात्रों के लिए पंजीयन की प्रक्रिया अगस्त में शुरू होगी। बता दें कि UG फर्स्ट ईयर की पढ़ाई सेमेस्टर प्रणाली से होगी। हर छह-छह महीने में एग्जाम होंगे।
इस नए फॉर्मूले के अनुसार स्वाध्यायी (प्राइवेट) छात्रों को बीए, बीकॉम, बीएससी समेत अन्य फर्स्ट ईयर की परीक्षा में शामिल होने के लिए पहले ही रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसमें छात्रों को यह बताना होगा कि किस कॉलेज से वे परीक्षा देंगे। पहले के वर्षों में जब वार्षिक परीक्षा के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू होती थी, तब छात्र सीधे फार्म भरते थे। रजिस्ट्रेशन या पहले से बताने जैसा सिस्टम नहीं था।
नई व्यवस्था से प्राइवेट छात्रों की संख्या पर कितना असर पड़ेगा यह कहना अभी कठिन है, लेकिन शिक्षाविदों का कहना है कि पिछले वर्षों की तरह इस बार स्वाध्यायी छात्रों की संख्या कम हो सकती है। क्योंकि, अब उन्हें सेमेस्टर के तहत साल में दो बार परीक्षा देनी होगी। पहले एक बार ही एनुअल एग्जाम देते थे। इसके अलावा अन्य बदलाव भी प्राइवेट छात्रों के लिहाज से ठीक नहीं है।
दरअसल, प्राइवेट छात्रों के पंजीयन की प्रक्रिया अगस्त में शुरू होगी। इसके लिए उन्हें कितनी फीस देनी होगी यह अभी तय नहीं है। संभावना है कि इस महीने इससे संबंधित निर्देश भी जारी किए जाएंगे। पिछली बार रविवि समेत अन्य विवि की वार्षिक परीक्षा में करीब ढ़ाई लाख छात्र प्राइवेट परीक्षार्थी के तौर पर शामिल हुए थे। गौरतलब है कि बीए, बीएससी, होमसाइंस, बीकॉम, बीसीए व बीबीए फर्स्ट ईयर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानी एनईपी लागू हो रही है।
जानकारी के अनुसार UG फर्स्ट ईयर की पढ़ाई सेमेस्टर प्रणाली से होगी। हर छह-छह महीने में एग्जाम होंगे। इसमें नियमित छात्रों की तरह ही प्राइवेट छात्रों के लिए भी कॉलेजों में इंटर्नल एग्जाम होंगे। जानकारी के मुताबिक आंतरिक मूल्यांकन के लिए 30 फीसदी अंक निर्धारित है। इसके अनुसार कॉलेजों अपने स्तर पर असाइनमेंट देंगे, छात्रों का टेस्ट लेंगे। कॉलेजों को इस बार आंतरिक मूल्यांकन के तहत छात्रों को 30 अगस्त तक असाइनमेंट देना होगा।
यूजी फर्स्ट ईयर में इस बार पासिंग मार्क्स 33 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी किया गया है। रोचक तथ्य यह है कि जब 33 फीसदी पासिंग अंक थे, तब आधे से ज्यादा छात्र फेल हो रहे थे। इस बार पास होने के लिए जरूरी न्यूनतम अंक में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, पहले के वर्षों में इंटर्नल एग्जाम के तहत 10 फीसदी अंक थे। वह भी नियमित छात्रों के लिए। लेकिन इस बार इंटर्नल के तहत 30 फीसदी नंबर है।