BILASPUR. मलेरिया का प्रकोप जिले के कोटा विकासखंड के गांवों में बढ़ रहा है। गांवों में उपचार के लिए लोग झोलाझाप डॉक्टरों का सहारा लेते है। उपचार में दवाईयां चल गई तब तो ठीक लेकिन इस बार मलेरिया पीड़ित दो सगे भाईयों के मौत के बाद प्रशासन ने झोलाझाप डॉक्टरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को कोटा क्षेत्र के दो क्लीनिक को सील किया गया। दोनों ही जगहों पर वैध दस्तावेज नहीं पाएं गए।
बता दें, ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टर कम और झोलाझाप डॉक्टरों का बोलबाला होता है। ज्यादातर इलाकों में डॉक्टर के बजाए कंपाउंडर या फिर छोटा-मोटा कोर्स कर क्लीनिक खोल कर लोगों का उपचार कर रुपये कमाते है। इनकी वजह से सही इलाज नहीं होने से मौत भी हो जाती है। इसी तरह कोटा विकास खंड के टेंगनमाड़ा गांव में भी दो सगे भाईयों का मलेरिया का इलाज झोलाझाप डॉक्टर से कराया गया।
बाद में उसे सिम्स लाया गया। जहां पर उपचार में देरी होने से दोनों भाईयों की मौत हो गई। अब प्रशासन का रवैया सख्त हो गया है। कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर ग्रामीण क्षेत्रों के क्लीनिक की जांच की जा रही है। इसी के तहत कोटा क्षेत्र के दो क्लीनिक को सील किया गया है। कोटा एसडीएम युगल किशोर उर्वशा के मार्गदर्शन में राजस्व और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने दोनों क्लीनिकों में आकस्मिक निरीक्षण के बाद कार्रवाई की।
दो क्लीनिक सील
टेंगनमाड़ा में दीपक गुप्ता का क्लीनिक है। यह क्लीनिक धर्मप्रताप सिंह विशाल सिंह के मकान में चलाया जा रहा था। आकस्मिक निरीक्षण के दौरान दीपक गुप्ता नहीं मिले। सरपंच व कोटवार के द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा किए गए गलत उपचार के कारण मौत हो गई। वहीं दूसरी करगी कला में डॉ.चिरंजिव विश्वास के क्लीनिक का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। उनके पास इलाज करने का किसी प्रकार का वैध दस्तावेज नहीं पाया गया। इसलिए उनका क्लीनिक सील किया गया।