BILASPUR. छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त बीएड डिग्रीधारकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए बीएड शिक्षकों की नियुक्तियों को निरस्त किया गया है। इस फैसले से डीएलएड डिग्री धारकों को राहत मिली है।
बता दें, प्रदेश में डीएलएड डिग्री धारकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमों का हवाला दिया था। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों की नियुक्त सहायक शिक्षक पद पर रद करने का आदेश दिया था लेकिन आदेश का पालन नहीं होने पर डीएलएड डिग्री धारकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कमेंट करते हुए कहा कि बच्चों की क्वॉलिटी एजुकेशन के साथ भेदभाव न किया जाए। साथ ही राज्य शासन को निर्देश दिए कि हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक ही कार्रवाई की जाए।
वर्ष 2023 में हुई थी परीक्षा
प्रदेश में वर्ष 2023 के 10 जून को परीक्षा हुई थी। इसमें बीएड और डीएलएड प्रशिक्षित दोनों ही अभ्यर्थी शामिल हुए थे। याचिका में बताया गया है कि प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने के लिए डीएलएड सिलेबस में स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है जबकि बीएड सिलेबस में हाय क्लासेस में पढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है। स्कूल शिक्षा विभाग ने नियमों में संशोधन कर दिया।
इसके मुताबिक सहायक शिक्षक की भर्ती में ग्रेजुएट और बीएड या डीएलएड को अनिवार्य योग्यता के रूप में शामिल किया गया है। जबकि बीएड प्रशिक्षितों को भर्ती में शामिल करना अवैधानिक है। बीएड ट्रेनिंग धारकों को प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है।
6 हफ्ते के अंदर करनी होगी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति को गलत माना है। साथ ही हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक ही कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसमें बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति को रद करने का आदेश दिया है वहीं 6 सप्ताह के अंदर कार्रवाई करने कहा है।